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आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर का होने वाला था अपहरण, पुराने साथी ने किया खुलासा

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इंदौर. आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के जनक श्री श्री रविशंकर का श्रीलंका का आतंकी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (लिट्टे) अपहरण करने वाला था. आर्ट ऑफ लिविंग के अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक स्वामी विरूपाक्ष ने इसका खुलासा अपनी किताब टूटा टाइगर में किया है. इस किताब में उन्होंने श्री श्री के श्रीलंका में मध्यस्थता के प्रयासों के बारे में बताया है.

विश्व भर में शांति का संदेश देने वाले आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक आध्यामिक और मानववादी गुरू श्री श्री रविशंकर के किडनैपिंग की प्लानिंग लिट्टे ने कर ली थी. इसका खुलासा 12 साल बाद आर्ट ऑफ लिविंग के अंतरार्ष्ट्रीय शिक्षक स्वामी विरूपाक्ष ने किया है. वे उस समय श्री श्री के साथ ही थे और श्रीलंका में शांति प्रयासों में लगे हुए थे.

अपहरण का प्लान
इंदौर पहुंचे आर्ट ऑफ लिविंग के अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक स्वामी विरूपाक्ष ने बताया कि जब श्रीलंका में तमिल अल्पसंख्यकों और सिंघली बहुसंख्यकों के बीच टकराव 26 साल के इतिहास में अंतिम दौर में पहुंच चुका था. तब आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने 2006 में इस संघर्ष के समाधान का प्रयास शुरू कर दिया था. ताकि श्रीलंका में शांति स्थापित हो सके. वे बताते हैं कि 2009 में जब वे श्रीलंका के रिफ्यूजी कैंप में गुरूजी के साथ गए थे. वहां एक लिट्टे समर्थित व्यक्ति ने बताया कि लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण ने श्री श्री रविशंकर से मिलने के बहाने किडनैपिंग का प्लान बना लिया था. यदि गुरूजी मिलने चले जाते तो शायद वापस नहीं आते. ये अच्छा हुआ कि तत्कालीन भारत सरकार ने गुरुदेव को लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण से मिलने की अनुमति नहीं दी. हालांकि उस समय श्रीलंका में सतत शांति औऱ समृद्धि का एक अनोखा अवसर उनके हाथ से चला गया.

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श्री श्री ने किया था मध्यस्थता का प्रयास
स्वामी विरुपाक्ष कहते हैं एक युद्ध लड़ने में अनेक चुनौतियां आती हैं. लेकिन शांति स्थापित करने में आने वाली चुनौतियां अपने आप में अनूठी होती हैं. उनका अंदाज लगाना कठिन होता है. इसी को बताने के लिए विरूपाक्ष ने टूटा टाइगर नाम से एक किताब लिखी है. इसमें श्रीलंका में लिट्टे की समस्या के दौरान श्री श्री रविशंकर के मध्यस्थता प्रयासों के दौरान हुए अनुभवों की अब तक की अनसुनी कहानियां हैं. इसका अंग्रेजी संस्करण द टाइगर्स पॉज़ नाम से है. ये किताब श्रीलंका द्वारा खोए हुए अवसरों, जिससे वो अधिक बेहतर स्थिति में हो सकता था, षड्यंत्रों, भीतर की कहानियां बताती है.

अगर श्रीलंका शांति मार्ग पर चलता...
विरूपाक्ष कहते हैं विशेष कर जब आज हम श्रीलंका को इस बुरी स्थिति में देखते हैं तो ये कहानियां और अधिक प्रासंगिक हो जाती हैं. बहुत से लोग श्रीलंका की वर्तमान स्थिति के लिए कोविड महामारी और दशकों के राजनैतिक-आर्थिक कुप्रबन्धन को जिम्मेदार मानते हैं. किन्तु इनमें से अधिकतर को इसके मूल कारण के बारे में नहीं पता. यदि शांति को वाकई एक अवसर दिया गया होता, तो इस गृह युद्ध के चौथे और अंतिम चरण, जो सबसे अधिक घातक रहा, को टाला जा सकता था. श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकता था.

Tags: Indore News Update, LTTE

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