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कारम डैम जांच रिपोर्ट: निर्माण में कोई खामी नहीं, जल्दीबाजी की वजह से फूटा

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हाइलाइट्स

304 करोड़ रुपए के डैम फूटने की जांच के लिए चार सदस्यीय गठित समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा को सौंप दी है.
बड़े अफसरों और इंजीनियरों को बचाने के लिए डिजाइन, टेंडर शर्तोँ और सुपरविजन आदि में क्लीनचिट दे दी गई है.

भोपाल.  मध्यप्रदेश के धार जिले के जिस कारम डैम की वजह से चार जिलों के 18 गांवों के लोगों को आनन-फानन में विस्थापित करना पड़ा. दिन-रात अफसरों से लेकर मुख्यमंत्री तक जुटे रहे. वह इसलिए फूटा क्योंकि तेज गति से काम किया गया था. यह स्थिति तब है जबकि डैम निर्माण का काम तय समय-सीमा से एक साल पीछे चल रहा है.
304 करोड़ रुपए के डैम फूटने की जांच के लिए चार सदस्यीय गठित समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा को सौंप दी है. समिति ने महज चार दिन में रिपोर्ट तैयार कर दी. रिपोर्ट में सिर्फ मानीटरिंग करने वाले एक्जीक्यूटिव इंजीनियर से लेकर निचले स्तर के इंजीनियरों को ही पीडब्ल्यूडी मैन्यूअल के हिसाब से काम नहीं कराने का दोषी पाया गया है. संभवत: सरकार इन पर कार्रवाई कर सकती है, जबकि बड़े अफसरों और इंजीनियरों को बचाने के लिए डिजाइन, टेंडर शर्तों और सुपरविजन आदि में खामी न बताकर उन्हें क्लीनचिट दे दी गई है. जांच रिपोर्ट में अभी यह साफ नहीं है कि कितने करोड़ का नुकसान मध्यप्रदेश सरकार को हुआ है.

अभी प्राथमिक रिपोर्ट, विस्तृत के लिए इंतजार
न्यूज18 ने समिति के सदस्यों से नाम न छापने की शर्त पर बातचीत की. सदस्यों ने कहा कि रिपोर्ट फाइलों में दर्ज कागजों के आधार पर तैयार की गई है लेकिन जब सवाल पूछे गए तो कहा कि अभी यह प्राथमिक रिपोर्ट है. इसमें किसी को दोषी नहीं बताया गया है. दोषी तय करने का काम सरकार का है. विस्तृत रिपोर्ट कब तक आएगी, इस सवाल का जवाब भी सदस्य नहीं दे सके. हालांकि सदस्यों ने कहा कि डैम का पानी पूरी तरह खाली होने के बाद ही पूरी जांच हो पाएगी. गौरतलब है कि डैम का निर्माण ग्वालियर के सारथी ग्रुप को पेटी कॉन्ट्रैक्ट में दिया गया था. कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया है. वहीं, बांध से पानी निकाले जाने के बाद 15 अगस्त को सरकार ने जल संसाधन विभाग के अपर सचिव आशीष कुमार की अध्यक्षता में जांच दल गठित किया था. इसमें राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र भोपाल के वैज्ञानिक डॉ. राहुल कुमार जायसवाल, मुख्य अभियंता ब्यूरो ऑफ डिजाइन एंड हायडल, जल संसाधन भोपाल दीपक सातपुते और संचालक बांध सुरक्षा भोपाल अनिल सिंह को शामिल किया गया था.

जल्दबाजी में मिट्‌टी काम्पैक्ट नहीं हो पाई
जांच समिति के मुताबिक साल 2018 में एनएनएस कंपनी को दिया गया था. कंपनी ने ग्वालियर की सारथी कंपनी को पेटी पर काम दिया. कंपनी ने धीमी गति से काम किया. फिर कोरोना का बहाना ले लिया. साल 2021 में जब काम खत्म करना था, तब कंपनी ने एक साल का एक्सटेंशन लिया. इसी अवधि में तेजी से काम करते हुए बांध बना दिया. कंपनी को मिट्‌टी, मुरम आदि हर लेयर बिछाने के बाद उस पर अच्छे से रोल करना था. साथ ही अच्छे काम्पैक्शन के लिए उसे एक बारिश खिलाना था. यह पीडब्ल्यूडी का मैन्यूल भी है, लेकिन जल्दबाजी के चक्कर में कंपनी ने ऐसा नहीं किया.

आप चिंता न करें, एक्शन जरूर लेंगे
जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि आप चिंता न करें, दोषियों पर एक्शन जरूर लेंगे. लेकिन, अभी कारम डेम की रिपोर्ट नहीं मिली है. एसीएस से रिपोर्ट मिलने के बाद डैम के निर्माण में लापरवाही के जिम्मेदार इंजीनियरों पर कार्रवाई करेंगे.

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