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धौलपुर. राजस्थान के धौलपुर जिले के डांग इलाके का नाम आते ही भले ही आज भी लोगों के मन में ऊंचे नीचे बीहड़, बागी, बंदूक और उजड़ा सा चमन वाली पुरानी तस्वीर बनती हो. लेकिन यहां अब महिलाओं की इच्छाशक्ति के बलबूते बहुत कुछ बदल गया है. गरीब परिवारों की महिलाओं ने साहूकारों की ब्याज और बैंक की कागजी खानापूर्ति से तंग आकर खुद के बक्सा बैंक बना लिए हैं. जिससे कर्ज के लिए महिलाएं अब ना तो साहूकारों के आगे हाथ फैलाती हैं और ना ही बैंक के चक्कर लगाती हैं. जिले की महिलाओं ने समूह बनाकर वर्ष 2000 से बक्सा बैंक बनाना शुरू किया.
आज जिलेभर में इन बक्सा बैंकों की संख्या करीब 5000 है. बक्सा बैंक से डेढ़ या दो रुपए की ब्याज पर लोन लेकर महिलाओं ने ना केवल आजीविका के साधन खड़े किए हैं, बल्कि साहूकारों के कर्ज से भी मुक्ति पा ली है. समूह में 10 से 18 तक महिलाएं होती हैं. शुरुआत में खुद ही हर सप्ताह 10 या 20 रुपये एकत्रित कर बक्सा में रखती है जो सबसे अधिक पढ़ी लिखी होती है वहीं इसका लेखा-जोखा रखती हैं.
साहूकारों से मिला छुटकारा
साहूकार जमीन व गहने गिरवी रखकर अधिक ब्याज पर कर्ज देते थे. उसके बाद भी प्रताड़ित करते थे. बैंक लोन देने के लिए चक्कर लगवाते उसके बाद भी कागजी कार्रवाई पूरी नहीं होने पर लोन नहीं मिलता था. बक्सा बैंक में उन्हीं महिलाओं को लोन दिया जाता है जो समूह की सदस्य होती हैं. इसके लिए उन्हें न तो कोई कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है और ना ही कुछ गिरवी रखना पड़ता है. सप्ताह में होने वाली बैठक में लोन चाहने वाली महिलाओं को सभी की सहमति से रजिस्टर में हस्ताक्षर कराकर लोन दिया जाता है. गंभीर परिस्थिति में रात को भी समूह तीन चार महिलाओं को बुलाकर लोन दिया जाता है. समूह की महिलाएं आस पड़ोस की होती हैं.
इनका यह कहना
उम्मीद महिला बचत समिति, रोशनी महिला बचत समिति, संतोषी महिला बचत समिति की महिलाओं ने बताया कि उनको जब भी पैसों की जरूरत होती है तो वह इस बक्सा बैंक से पैसे निकाल कर अपनी जरूरत पूरी कर लेती हैं. समिति की अध्यक्ष अंजुम ने बताया कि उसको अपनी बेटी की शादी करनी थी. बेटी की शादी के लिए उसको पैसों की जरूरत पड़ी तो उसने बक्सा बैंक से ही पैसे निकाल कर अपनी बेटी की शादी की. वहीं रोशनी महिला समिति की अध्यक्ष राजेंद्री ने बताया कि उसको भी अपने बेटा की शादी के लिए पैसों की जरूरत पड़ी तो उसने भी इसी बक्सा बैंक से पैसे निकाल कर बेटे की शादी की. वहीं संतोषी महिला समिति की माया ने बताया कि उसके पति की तबीयत खराब हो गई थी.
उसको पति की दवाई के लिए पैसों की जरूरत पड़ी तो उसने सभी महिलाओं की सहमति से इसी बक्सा बैंक से पैसे निकाल कर पति का इलाज कराया. महिलाओं ने बताया कि सभी महिला बहनों को जब भी पैसों की जरूरत होती है तो सभी की सहमति से इस बक्सा बैंक से पैसे निकाल कर जरूरत पूरी कर ली जाती है. महिलाओं ने बताया कि हर सप्ताह में मीटिंग होती है जिसमें तय किया जाता है कि समिति महिलाओं को 10, 20, 30 रुपये जमा कराने होते हैं. समूह में महिलाओं की संख्या कम से कम 10 होनी चाहिए जब भी यह समूह सुचारू रहता है. यह सभी महिलाएं करीब 4 साल से महिला बचत समिति बनाकर अपनी जरूरतों को पूरा कर रही हैं.
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Tags: Dholpur news, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : September 03, 2022, 19:56 IST
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