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छत्तीसगढ़ के इस गांव के हर घर में है यूट्यूबर, 85 की दादी और 15 साल का पोता एक साथ बनाते हैं वीडियो

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रायपुर. छत्तीसगढ़ को अगर आप केवल नक्सलवाद की वजह से जानते हैं तो ज़रा ठहर जाइये. यहां के गांवों में टावर्स की कमी आप भूल जाइये. क्योंकि आज हम बताते हैं कि तुलसी गांव की कहानी जहां हर घर में एक यूट्यूबर रहता है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 45 किलोमीटर दूर तिल्दा इलाके में बसा ये गांव किसी दूसरे गांव की ही तरह है. लेकिन सोशल मीडिया में यहां रहने वालों की मौजूदगी इसे ज्यादा ख़ास बनाती है. इस गांव की आबादी लगभग 3 हजार है और यहां 1 हजार से ज्यादा यूट्यूबर्स हैं. जो गांव की गलियों में ही आसानी से वीडियो बनाते दिखाई देंगे. न्यूज़ 18 की टीम जब इस गांव में पहुंची तब किसी भी यूट्यूबर को ढूंढने में ज़रा भी परेशानी नहीं हुई. बल्कि गांव के ही लोगों ने बताया कि एक घर में इस वक्त यूट्यूब चैनल के लिए एक्ट चल रहा है. एक्ट भी ऐसे जिसमें 85 साल की दादी भी हैं और 15 साल का पोता भी.

साथ मिलकर बनाते हैं वीडियो

तुलसी गांव 85 साल की महिला बिसाहिन और 15 साल के राहुल बताते हैं कि तुलसी गांव में रहने वाले यूट्यूबर्स की ख़ास बात ये हैं कि हर किसी का अपना यूट्यूब चैनल है. लेकिन एक दूसरे के वीडियो बनाने से लेकर एक्ट और अन्य तकनीकी जरूरतों को पूरा करने के लिए सब एक दूसरे की मदद करते हैं. गांव के ही यूट्यूबर ज्ञानेन्द्र बताते हैं कि इस गांव में यूट्यूबर एक साथ बैठकर कंटेंट डिसाइड करते हैं और फिर एक्ट या वीडियो तैयार किया जाता है. ख़ास बात ये है कि एक्ट में किरदार के हिसाब से गांव का कौन व्यक्ति फिट बैठेगा ये भी यहीं तय किया जाता है.

आसानी से तैयार हो जाता है एक्ट

गांव में हर उम्र के लोग किसी भी एक्ट के लिए बड़ी आसानी से तैयार हो जाते हैं. छत्तीसगढ़ में तैयार होने वाला पहला छत्तीसगढ़ी कॉमेडी चैनल भी तुलसी गांव के ही युवाओं ने तैयार किया था. गांव के ही जय वर्मा बताते हैं कि गांव में रहने वाले 55 साल के प्यारेलाल, 35 साल के सतीश यदु और 15 साल के राहुल को यूट्यूबर बनने और कई यूट्यूब चैनल्स में काम करने के बाद पहचान मिली है. प्यारेलाल कभी गांव में होने वाली रामलीला के मंचन में भाग लिया करते थे. जिससे केवल गांव के लोग ही उनकी कला से वाकिफ थे. लेकिन अब उनको हर कोई जानता है. इसी तरह राहुल भी खुद अपना यूट्यूब चैनल बनाकर उसमें कई वीडियो डालता है. जिसे व्यूवर्स की संख्या लाखों में है.

सोशल मीडिया ने ग्रामीणों को दिया प्लेटफॉर्म
गांव में पैदा होने वाले हुनर को आसानी से प्लेटफॉर्म नहीं मिलता. लेकिन सोशल मीडिया की दुनिया ने ये समस्या भी दूर कर दी है. तुलसी गांव में ही रहने वाली मधु कोसले का भी यूट्यूबर है जहां वे अपने गाये गीत अपलोड करती हैं. साथ ही गांव के अन्य चैनलों में होने वाले एक्ट में हिस्सा लेती हैं. यहां रहने वाले सतीश यदु ने बताया कि गांव वालों को सोशल मीडिया ने बड़ा प्लेटफॉर्म दिया है और एक दूसरे को देखकर यहां हर किसी ने अपना यूट्यूब चैनल बना लिया है. हांलाकि इससे पैसे भी मिल रहे हैं लेकिन जिनके व्यूवर्स ज्यादा है उनको आमदनी अच्छी हो रही है और बाकियों की कोशिशें जारी है.

गांव के लोग ही करते हैं मदद
गांव के ही लोगों का कहना है कि अगर बात तकनीकी पहलूओं की करें तो गांव के लोग एक दूसरे का पूरा सहयोग करते हैं. कैमरा, माईक और भी जरूरत की चीज़ें एक दूसरे से साझा करते हैं. चेतन नायक बताते हैं कि इस गांव में किसी ने प्रोफेशनल डांस, एक्टिंग, कैमरा और अन्य तकनीकी चीज़ों की ट्रेनिंग नहीं ली फिर भी एक दूसरे के सहयोग से काम आसानी से हो जाता है. मनोज नायक बताते हैं कि सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म में जहां कोई भी, कभी भी चमकता सितारा बनकर उभरता है. तुलसी गांव में रहने वाले कलाकारों की भी कोशिशें जारी है. क्या पता, कि इस गांव में रहने वाला कौन सा यूट्यूबर कब अंतर्राष्ट्रीय फलक पर दिख जाए.

Tags: Chhattisgarh news, Raipur news

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