नगर निगम के अधिकार रहवासी समितियों को भी मिलेंगे, मेंटेनेंस शुल्क की वसूली के साथ सासंद-विधायक फंड से हो सकेगा विकास
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हाइलाइट्स
सहकारिता विभाग में रजिस्टर्ड पुरानी रहवासी समितियों का नगर निगम में नए सिरे से कराना पड़ सकता है रजिस्ट्रेशन
मप्र स्वामित्व प्रकोष्ठ अधिनियम (अपार्टमेंट एक्ट) के तहत गठित होंगी नई समितियां.
नई समितियों को मोहल्ला कमेटी की तरह विकास के और मेंटेनेंस वसूली के अधिकार मिलेंगी. मेंटेनेंस से संबंधित विकास कार्य का निपटारा करेंगी.
भोपाल. मध्यप्रदेश सरकार नगरीय निकायों के साथ ही कॉलोनियों या मोहल्लों की देखभाल करने वाली समितियों तक सत्ता का विकेंद्रीकरण करेगी. लंबे समय से चली आ रही मांग को देखते हुए सरकार इन समितियों को मेंटेनेंस शुल्क से लेकर विकास कार्यों के अधिकार देगी.
रहवासी कल्याण संघ सोसाइटी (रेसीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, आरडब्ल्यूए) को ताकतवर बनाने के लिए नगर निगम या निकायों के कुछ अधिकार दिए जाएंगे. इसके लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने नई नीति तैयार की है. वरिष्ठ सचिवों की समिति इसका परीक्षण कर रही है. इस पर सहमति के बाद नई नीति को मंजूरी के लिए कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा. नगरीय विकास एवं प्रशासन संचालनायल के आयुक्त भरत यादव ने बताया कि कैबिनेट से मंजूरी के बाद आरडब्ल्यूए से संबंधित सभी एक्ट और नियमों में बदलाव कर उन्हें अधिकार दिए जाएंगे.
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22 साल से है इंतजार
मप्र में आरडब्ल्यूए के लिए वर्ष 2001 में मप्र प्रकोष्ठ स्वामित्व अधिनियम लाया गया. राष्ट्रपति ने मंजूरी भी दी लेकिन फिर सरकार इसे भूल गई. 2012 में सरकार ने इसे इंदौर और भोपाल में लागू कर दिया लेकिन नियम नहीं बनाए. 2019 में नियम बने लेकिन समितियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया. इस बीच हाईकोर्ट के आदेश के तहत 2011 में मोहल्ला कमेटी का भी गठन हुआ लेकिन इन्हें भी अधिकार नहीं दिए. तब से रहवासी लगातार नई नीति की मांग कर रहे थे.
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यह आ रही दिक्कत
आरडब्ल्यूए को अधिकार न होने से कॉलोनी के रखरखाव शुल्क की वसूली में दिक्कत आ रही थी. भोपाल में बघीरा अपार्टमेंट में एक फ्लैटधारक ने 40 सालों से मेंटेनेंस शुल्क नहीं दिया क्योंकि उस पर कार्रवाई के अधिकार नहीं है. इसी तरह, आरडब्ल्यू के पास पार्क और सड़क जैसे विकास कार्यों के लिए भी फंड नहीं होता है.
अब क्या होगा
मप्र प्रकोष्ठ स्वामित्व नियम के तहत रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन गठित होंगी. इसका रजिस्ट्रेशन नगरीय निकाय करेंगे और विवाद की स्थिति में एसडीएम के पास अपील व सुनवाई होगी. सहकारिता विभाग से रजिस्टर्ड समितियां इसमें मर्ज होंगी या खत्म होंगी. नई आरडब्ल्यूए कॉलोनी के रोजाना कामकाज से लेकर उसके संचालन की सारी जिम्मेदारी उठाएगी. यही नहीं, आरडब्ल्यूए के पास यह शक्ति होगी कि किसी भी मकान या फ्लैट मालिक के खिलाफ नियमों को तोड़ने पर कार्रवाई कर सके. समिति मेंटनेंस जैसे कि स्ट्रीट लाइट, सिक्यूरिटी, पानी, सौंदर्यीकरण और पार्किंग जैसे सभी नियमित काम संभालेगी और इसका शुल्क वसूलेगी.
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इन बदलावों से ताकतवर होगी आरडब्ल्यूए
आरडब्ल्यूए को सांसद और विधायक निधि से विकास कार्यों जैसे कि पार्क डेवलपमेंट, खेल परिसर आदि के लिए राशि मिल सकेगी. वह कॉलोनी की सड़कों, पार्क और फुटपाथ जैसे विकास के काम कराने के लिए एजेंसी का चयन कर सकेगी. आरडब्ल्यूए कॉलोनी का रीडेवलपमेंट यानी कि पुराने मकानों को तोड़कर नए मकान बनाने का काम फैसला लेने में सक्षम होगी. संपत्ति मालिक को अपना मकान या फ्लैट बेचने के लिए आरडब्ल्यूए से एनओसी लेना पड़ेगा ताकि उससे मेंटेनेंस शुल्क वसूला जा सके. यदि संपत्ति मालिक शुल्क जमा कर देता है तो उसे 15 दिन के भीतर एनओसी भी देनी होगी. इसके साथ ही, प्रापर्टी टैक्स, बिजली बिल और स्वच्छता शुल्क वसूलने की जिम्मेदारी लेने पर उन्हें विकास के लिए स्पेशल इंसेंटिव मिलेगा. वहीं, आरडब्ल्यूए पर एक बंदिश भी लगाई गई है. यह किसी रहवासी के प्राप्रर्टी विवाद में दखल नहीं देगी.
कैसा होगा आरडब्ल्यूए का स्वरूप
अभी सहकारिता में समिति में पांच साल का है लेकिन अब आरडब्ल्यूए का कार्यकाल दो साल का होगा. इसमें पहले की तरह 11 पदाधिकारी होंगे लेकिन इसमें से 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे.
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FIRST PUBLISHED : September 18, 2022, 07:21 IST
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