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रायपुर. छत्तीसगढ़ में बस्तर के स्थानीय लोगों के एक समूह ने ‘गोदना’ (टैटू) कला को पुनर्जीवित करने की पहल की है. कुछ स्थानीय युवक अब गोदना कला का पर्यटकों के बीच प्रचारित कर इसे फिर से जिंदा करने की कोशिश कर रहे हैं. वे पर्यटकों को इसके महत्व के बारे में बता रहे हैं और सुरक्षा, स्वच्छता तथा अच्छी गुणवत्ता की स्याही एवं अन्य हथियारों का इस्तेमाल कर आधुनिक कलेवर के साथ इसे पेश कर रहे हैं.
राज्य के एक प्रतिष्ठित टैटू कलाकार ने को बताया कि पारंपरिक गोदना कला को संरक्षित करने के लिए इसके रूपों और उनके पीछे की कहानियों की एक सूची भी तैयार की जा रही है. जिला प्रशासन ने इस साल मई और जून में बस्तर नृत्य, कला एवं भाषा अकादमी (बादल) में गोदना और आधुनिक टैटू कला पर 15-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें करीब 20 स्थानीय युवाओं ने भाग लिया. इसमें प्रशिक्षण के बाद ज्यादातर लोगों ने टैटू कलाकार के तौर पर काम करना शुरू कर दिया है और राजधानी रायपुर से करीब 300 किलोमीटर दूर माओवाद-प्रभावित जिले जगदलपुर में और उसके आसपास पर्यटक स्थलों पर अपने स्टॉल लगाए हैं.
कला को संरक्षित करना उद्देश्य
युवाओं का कहना है उनका मकसद गोदना टैटू बनाकर केवल पैसा कमाना नहीं है, बल्कि इस कला को संरक्षित करना भी है. बड़े किलेपाल गांव की 21-वर्षीया आदिवासी महिला ज्योति ने कहा, ‘‘लोग जानते हैं कि गोदना हमेशा आदिवासी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है, लेकिन उन्हें इसका महत्व नहीं पता है. इस प्रशिक्षण के दौरान हमें यह बताया गया कि हम इस कला का प्रचार कैसे कर सकते हैं और इसे अपने लिए आजीविका का साधन कैसे बना सकते हैं.’’ ज्योति अपने गांव से जगदलपुर पहुंचने के लिए बस से हर दिन करीब 45 किलोमीटर का सफर तय करती हैं. वह नजदीकी तोकापाल शहर में एक सरकारी कॉलेज से विज्ञान विषय में स्नातक की पढ़ाई भी कर रही हैं.
ज्योति ने कहा, ‘‘हर डिजाइन का अपना खास महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि कुछ डिजाइन बुरी शक्तियों और बीमारियों को दूर रखते हैं जबकि कुछ कहते हैं कि यह इकलौता गहना है जो मरने के बाद भी लोगों के साथ रहता है. मेरी मां के चेहरे पर होठों के नीचे और माथे पर गोदना टैटू बने हुए हैं.’’ रायपुर के टैटू कलाकार शैलेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि गोदना कला के लुप्त होने की मुख्य वजहों में से एक यह थी कि कई लोगों के लिए एक ही सुई का इस्तेमाल किया जाता था. टैटू बनवाने के दौरान दर्द भी होता है और कई बार इसके नकारात्मक असर भी पड़ते हैं.
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Tags: Chhattisgarh news, Raipur news
FIRST PUBLISHED : August 08, 2022, 07:05 IST
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