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बाड़मेर: 930 उच्च माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी, कई स्कूलों में पालकों ने की तालाबंदी

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बाड़मेर. भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे राजस्थान के सरहदी बाड़मेर जिले में इन दिनों शिक्षकों के तबादलों के विरोध में विद्यार्थी और ग्रामीण एकजुट हो गए हैं. शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने को लेकर सरकार के दावे भले ही बड़े-बड़े हों, लेकिन सच्चाई यह है कि खुद सरकार की अनदेखी के चलते स्कूली शिक्षा का ढांचा चरमरा गया है. इसका मुख्य कारण स्कूलों में शिक्षकों की कमी है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले की 930 उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 15 हजार से अधिक पद स्वीकृत किए गए हैं, लेकिन महज 9841 पद ही भरे गए हैं.

मिली जानकारी के मुताबिक हाल ही में शिक्षा विभाग द्वारा जारी जंबो व्यख्याताओ की तबादला सूची से भी रिक्त पदों की संख्या और बढ़ गई है. इससे विद्यालयों में बच्चों का नामांकन लगातार घट रहा है. स्कूली विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में देख छात्र और अभिभावक भी चिंतित हैं. अपने भविष्य को अंधकार में देखकर छात्रों व अभिभावकों ने राउमावि सणाउ, बावड़ी कला, उपरला, मानकी, सियागों का तला, रतेऊ, चिड़िया व शहर गांव मे तालाबंदी की गई है.

छात्रा का यह कहना
छात्रा वीरमा बताती हैं कि लगातार विद्यालयों में व्यख्याताओं के पद रिक्त चल रहे हैं. उसके बावजूद हाल ही में जारी हुई तबादला सूची से और अधिक पद खाली हो गए हैं. ऐसे में मजबूरन उन्हें आंदोलन की राह पर उतरना पड़ा है. राज्य सरकार एक तरफ शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूर्ण नहीं कर रही है, दूसरी तरफ शिक्षकों के तबादले करने से ग्रामीण क्षेत्र के सभी विद्यालय खाली होंने से बच्चो के शिक्षा पर प्रभाव पड़ रहा है.

जिला शिक्षा अधिकारी का यह कहना
बाड़मेर के जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक राजन कुमार शर्मा के मुताबिक बाड़मेर जिले में 930 उच्च माध्यमिक विद्यालय है, जिनमें 15248 पद स्वीकृत हैं. उनमें से 9841 पदों पर ही कार्यरत है, जिनमें से कइयों के हाल ही में तबादले हो गए हैं। पूर्व में भी 5409 पद रिक्त चल रहे हैं. बताया जा रहा है कि एक समय बाड़मेर-जैसलमेर को काला पानी की सजा माना जाता था. समय बदला और आज बाड़मेर तेल खनन, दुर्लभ खनिजों के साथ ही अत्याधुनिक तकनीकी युक्त पचपदरा रिफाइनरी के लगने से उभर कर सामने आया. ऐसे में अब यहां शिक्षा को लेकर भी कई नवाचार हुए, जिससे शिक्षा के स्तर में काफी सुधार हुआ है, लेकिन हाल ही में जारी हुई जंबो तबादला सूची से शैक्षणिक व्यवस्था चरमरा गई है.

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