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बालोद. 70 साल पहले छत्तीसगढ़ के बालोद नगर के मरार पारा में लोगों को जमीन से एक पत्थर निकलता दिखा. अचानक आसपास के 2 लोगों की नजर उस पत्थर पर पड़ी, लेकिन वह पत्थर सामान्य नहीं था. बल्कि उसका आकार भगवान गणेश की तरह था. उस दिन से आसपास के लोगों के लिए वह आस्था का केंद्र बन गया. वहां निवास करने वाले लोगों ने पाई पाई इकट्ठा कर भगवान गणेश को ढकने के लिए शैड तैयार किया और पूजा आराधना करने की शुरुआत की. धीरे धीरे भगवान गणेश की प्रसिद्धि बढ़ती गई और भक्तों की तादाद भी बढ़ने लगी.
मौर्य मंडल परिवार के सुनील जैन और मनोज दहिया बताते हैं कि बालोद जिले ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न कोनों के अलावा दूसरे राज्य से भी लोग मरार में अपनी मनोकामना पूरी करने पहुंचते हैं. लोगों का मानना है कि यहां सच्चे मन से वर्ष 2012 से मोरिया मंडल परिवार ने गणेश मंदिर संचालन करने की जिम्मेदारी उठाई. तब से लेकर आज तक हर बुधवार को यहां विशेष तरह की पूजा होती है और खासकर गणेश चतुर्थी के 11 दिन भक्तों का मेला मंदिर में देखने को मिलता है.
कोरोना काल से शुरू हुई विशेष पहल
कोरोना काल में जब कई लोगों का रोजगार छिन गया था और घर में खाने के लिए दाना नहीं था. तब मोरिया मंडल परिवार ने एक पहल की और गणेश मंदिर के पास ही गणेश प्रसादी की शुरुआत की. बीते वर्ष गणेश चतुर्थी के पहले दिन से ही गरीबों को निशुल्क भोजन देने के साथ ही जो लोग भूखे हैं उसे महज 30 रुपये में घर जैसा भोजन गणेश प्रसादी के रूप में दिया जा रहा है. इसे लेने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. क्षेत्र में इस प्रसादी की चर्चा भी खूब हो रही है. गणेश पक्ष के दौरान भक्तों की संख्या यहां और भी बढ़ जाती है.
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FIRST PUBLISHED : September 01, 2022, 15:36 IST
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