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भगवान कृष्ण की छाक लीला: यहां आज भी कदंब के पत्ते स्वयं बन जाते हैं दोने! देखें- Video

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ललितेश कुशवाहा/भरतपुर. भगवान श्री कृष्ण ने बृज में अनेक लीलाएं की हैं. उन्हीं लीलाओं में से एक है छाक लीला. राजस्थान के भरतपुर जिले की पूछरी का लौठा के पास स्थित श्याम ढाक स्थल (Shyam Dhak site) का अपना महत्व है. कहा जाता है कि इस स्थल पर भगवान श्री कृष्ण अपने ग्वाल बालों के साथ गौचारण (cowshed )करते थे. उसी समय गोपियां इस जंगल से छाछ, दूध, मक्खन लेकर जाती और भगवान को परोसती. इस दौरान जंगल में कोई पात्र नहीं होने कारण ढाक के पत्तो की पत्थल व कदंब के पेड़ के पत्ते स्वाभाविक रूप से दोने का रूप ले लिया करते थे. इन्ही पात्रों में परोसा गया दूध, छाछ, मक्खन का भगवान रसपान किया करते थे. आज भी इस जंगल में कदंब के पत्ते दौने के रूप में मिलते हैं.

मंदिर के पुजारी राधाकांत शास्त्री (Radhakanta Shastri) ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने लीलाएं जिले के पूछरी गांव के निकट श्याम ढाक स्थल पर छाक लीला कर इस स्थल को पवित्र कर दिया. इस जगह काले ढाक व कंदब के पेड़ हैं. यहा दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु देखने व दर्शन के लिए आते हैं. दोहा सुनाते हुए कहा कि ” श्याम ढाक के दोना दधि खाय लै श्याम सलोना” उस समय गोपी छाछ लेकर जाया करती थी. कदम के पेड़ों से स्वभाविक रुप से पत्ते धोने के रूप में गिरा करते थे. भगवान छाछ लीला किया करते थे. इनकी इस लीला को देख ब्रह्मा जी भी मोहित हो गए थे.

इस स्थल को क्यों कहा जाता है श्याम ढाक?
श्याम ढाक स्थल निवासी संत संजय ( Sanjay) ने बताया गौचारण के समय भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों से दूध दही मक्खन लिया करते थे. उनके पास पात्र नहीं होता था तो ढाक के पत्तों की पत्थल और कदंब के पेड़ो से पत्ते गिरकर दौने का रूप ले लिया करते थे. वर्षों पहले की गई छाक लीला वहां मौजूद इस कदम के पेड़ जीवित कर देते हैं. क्योंकि आज भी इन पेड़ों के पत्ते दोने के रूप में है।ढाक के पेड़ अधिक संख्या में होने के कारण इस स्थल का नाम श्याम ढाक रखा गया है.

Tags: Bharatpur News, Rajasthan news

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