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मजदूर के बेटे ने दिखाया दम, पैसे उधार लेकर जीता कॉलेज अध्यक्ष का चुनाव, जानें क्या हैं भविष्य के नेता के सपने

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दौसा. मन में लगन और मजबूत इच्छाशक्ति हो तो कामयाबी जरूर मिलती है. राजस्थान के दौसा जिले के गांव गनीपुर निवासी नरेंद्र बैरवा ऐसे ही किरदार हैं. गरीब परिवार का बेटा राजकीय महाविद्यालय सिकराय में अध्यक्ष बन गया है. नरेंद्र बैरवा के माता-पिता और बड़ा भाई दूसरों के खेतों में और मकान बनाने में मजदूरी करते हैं, लेकिन नरेंद्र बैरवा की मंजिल कुछ और थी. वह पहले गांव के सरकारी स्कूल में कक्षा 5 तक पढ़े, फिर 12 वीं तक की पढ़ाई पूरी किशनगढ़ में की. राजकीय महाविद्यालय सिकराय में 26 अगस्त को मतदान हुआ और 27 अगस्त को परिणाम जारी हुआ. जिसमें छात्रों ने विश्वास करते हुए एक गरीब परिवार से आने वाले छात्र को छात्र नेता बना दिया और अब अध्यक्ष पद पर भी विजय हो गया. अध्यक्ष बनने वाले नरेंद्र बैरवा गरीब परिवार से आते हैं. नरेंद्र बैरवा के पिता राजेंद्र बैरवा राजस्थान की राजधानी जयपुर में रहकर मकान बनाने का मिस्त्री का काम करते हुए परिवार का गुजारा करते हैं. करीब 20 से 25 वर्ष से जयपुर में नरेंद्र के पिता मजदूरी करते हैं.

अध्यक्ष बने नरेंद्र भी करते थे मजदूरी
अध्यक्ष बने नरेंद्र बैरवा ने भी मजदूरी का कार्य किया है. उन्होंने बताया कि जब उन्हें पढ़ाई से समय मिलता था तो वह जयपुर में मजदूरी करता था और गांवों में भी जुगाड़ों में चारा भरने का कार्य करते हुए परिवार का पालन पोषण करने में सहयोग करते थे.

उधार पैसे लेकर लड़ा चुनाव
जब कॉलेज के चुनाव में निर्दलीय के रूप में नरेंद्र बैरवा ने अपना दाखिला भर दिया था, तब उनके पिता राजेंद्र ने किसी से पैसे उधार लेकर उन्हें चुनाव लड़ाया और कुछ पैसे स्वयं नरेंद्र अपने मित्रों से लेकर आया. उन पैसों से महाविद्यालय का चुनाव लड़ा और पैसे को अपने हिसाब से ही खर्च किया.

परिवार के पास घर बना है उतनी ही जमीन
सिकराय कॉलेज के अध्यक्ष बने नरेंद्र बैरवा के गांव में खेती करने के लिए जमीन नहीं है. मात्र जिस जमीन में घर बना हुआ है उतनी ही जमीन गांव में है. उनके कच्चे घर बने हुए हैं. जिसमें सीमेंट से बनी चद्दर और छप्पर पोश बना हुआ है. उसी घर में परिवार रहता है.

मौका मिला तो नरेंद्र बैरवा बनेगा सरपंच और पंचायत समिति सदस्य
नरेंद्र बैरवा ने बातचीत में बताया कि सर्वप्रथम सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ना चाहेंगे. उसके बाद पंचायत समिति सदस्य के लिए भी चुनाव लड़ने का सोचा है. उन्होंने बताया कि मैं गांव में ही रह कर क्षेत्र के लोगों की सेवा कर सकूंगा. इसलिए मैं यह चुनाव लड़ना पसंद करूंगा.

Tags: Dausa news, Rajasthan news

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