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मालवा-निमाड़ में लहसुन की फसल नदी में फेंक रहे हैं किसान, वजह जानकर कहेंगे OMG

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इंदौर. मालवा निमाड़ का किसान मॉनसून की भरपूर मेहरबानी के बाद भी बर्बाद हो रहा है. उसकी फसल चौपट नहीं हुई है बल्कि बंपर पैदावार ने किसानों को चौपट कर दिया है. इस बार इतनी जबरदस्त फसल हुई है कि फसल के दाम जमीन पर आ गिरे हैं. खेतों में माल भरा पड़ा है उन्हें उठाने वाला कोई नहीं. अगर ढुलाई करें तो उसका भाड़ा दाम से ज्यादा लगेगा. इसलिए किसानों ने लहसुन नदी में फेंकना शुरू कर दिया है.

मालवा-निमाड़ में इस बार लहसुन की बंपर पैदावार किसानों के लिए मुसीबत बन गयी है. मंडी में 1 रुपए किलो बिक रहा लहसुन वो नदियों में फेंक रहे हैं. मालवा-निमाड़ लहसुन की पैदावार के लिए पूरे देश में मशहूर है. लेकिन इस साल किसानों के लिए यही लहसुन घाटे का सौदा साबित हो रहा है. मंडियों में बंपर आवक के कारण लहसुन की कीमत गिरकर 1 रुपए किलो हो गयी है. किसान मजबूर होकर नदियों में लहसुन फेंक रहे हैं. ना उनकी मजदूरी निकल रही है और ना मंडी तक लाने का भाड़ा. उन्हें लहसुन फेंकना पड़ रहा है.

लहसुन 1 रुपये किलो

मालवा निमाड़ में लहसुन की बंपर पैदावार ने किसानों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है. मंडियो में उन्हें लहसुन का दाम 1 रुपये किलो तक मिल रहा है. इससे उनका मंडियों तक लाने का भाड़ा तक नहीं निकल पा रहा है. ताजा मामला जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट के विधानसभा क्षेत्र सांवेर का है. यहां किसान ट्रेक्टरों में भरकर अपनी लहसुन की फसल नदी में फेंक रहे हैं. उनका कहना है लहसुन एक से दो रुपए किलो तक बिक रहा है. इसमें लागत तक नहीं निकल पा रही. मजदूरों की मजदूरी तो दूर की बात. मंडी तक ले जाने का भाड़ा भी कहीं ज्यादा लगेगा इसलिए किसान क्या करे. मंडी जाकर मरने से अच्छा है कि इसे फेंक दिया जाए. हम किसान लागत तक नहीं निकाल पा रहे. बारिश के मौसम में रखे-रखे लहसुन खराब हो रहा है. सही दाम मिलने की उम्मीद भी नहीं है, इसलिए इसे फेंकना ही ठीक समझ रहे हैं.

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नदी में फेंका लहसुन

इंदौर जिले के सांवेर के किसानों का पुल से लहसुन फेंकने का वीडियो सामने आने के बाद स्थानीय विधायक और जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. वो किसानों से बात करने की बात कह रहे हैं. क्षेत्रीय सांसद शंकर लालवानी इसके लिए अपनी ही सरकार को दोषी बता रहे हैं. उनका कहना है ओपन मार्केट में कीमती बढ़ती गिरती रहती हैं. इससे ये स्थिति बनी है. लेकिन जिस तरह पिछली बार सरकार ने प्याज और लहसुन को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा था, उसी तरह इस बार भी लहसुन को मिनिमम सपोर्ट प्राइज पर  खरीदने के लिए के लिए हमने सरकार से निवेदन किया है.

किसानों के साथ धोखा

मंडियों में बंपर आवक की वजह से व्यापारी मनमर्जी से लहसुन के दाम तय कर रहे हैं. इससे किसान परेशान हैं. विपक्षी दल कांग्रेस को सरकार को घेरने का मौका मिल रहा है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने कहा बीजेपी सरकार शुरू से किसानों को गुमराह और भ्रमित करती आई है. ना किसानों को समर्थन मूल्य मिल रहा है और ना भावांतर मिल रहा है. इसलिए किसान अपनी फसल फेंकने पर मजबूर हैं. सांवेर, मंत्री तुलसी सिलावट का इलाका होने के बावजूद यहां की स्थिति भी विकट बनी हुई है.

रोजाना 12 सौ से 15 सौ क्विंटल आवक

प्रदेश की सबसे बड़ी देवी अहिल्याबाई होल्कर फल और सब्जी मंडी में इन दिनों लहसुन और प्याज की आवक बहुत ज्यादा है. यहां लहसुन की रोजाना 12 सौ से 15 सौ क्विंटल की आवक है. लहसुन का बंपर उत्पादन और डिमांड कम होने की वजह से दाम गिर गए हैं. मध्यप्रदेश से लहसुन गुजरात, पंजाब, दिल्ली तक सप्लाई होता है. लेकिन अभी वहां डिमांड नहीं है. हालांकि व्यापारियों को उम्मीद है कि अक्टूबर के अंत तक डिमांड बढ़ सकती है.

Tags: Crop Damage, Indore news, Madhya pradesh latest news

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