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मुंबई-इंदौर तक धूम मचाती है राजस्थान के इस शहर की इमरती, 60 साल से चल रहा कारोबार, जानें रेसिपी और इनकम

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मोहित शर्मा/करौली. रबड़ी और नमकीन के साथ ही इमरती से भी राजस्थान के करौली की खास पहचान है. शहर के पंचायती मंदिर के सामने बनने वाली इमरती के स्वाद के दीवाने हर उम्र के लोग हैं. इसे बनाने वाले हलवाई बताते हैं कि मुंबई-इंदौर और गुजरात तक से इमरती की मांग आती है. ताजी इमरती खरीदने के लिए सुबह से ही ग्राहकों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है. तीन पीढ़ियों से इमरती बना रहे हलवाई बताते हैं कि पिछले 60 सालों से ये काम कर रहे हैं.

दुकान के संचालक बताते हैं कि रसीली इमरती को उड़द की दाल, चीनी, तेल और आरारोट के टांके से तैयार किया जाता है. उड़द की दाल को भिगोने के बाद पीसकर इसका घोल बनाया जाता है. इसके बाद कपड़े में बांधकर हाथ से घुमाकर कढ़ाई के अंदर ही इमरती को आकार दिया जाता है. फिर सिकाई होने के बाद इसे चाशनी पिलाई जाती है. इस तरह तैयार होती है ताजी और स्वादिष्ट इमरती.

छोटे कार्यक्रमों से लेकर शादी समारोह तक में पसंद की जाती है
बच्चों के जन्म पर होने वाले कार्यक्रमों से लेकर किसी भी शुभ कार्य या शादी विवाह तक में मिठाई के तौर पर इमरती पसंद की जाती है. हलवाई बताते हैं कि रोज 80 से 90 किलो इमरती की बिक्री होती है. इमरती का भाव यहां 120 रुपए किलो है.

ग्रामीण इलाकों में पहली पसंद
करौली शहर में ही नहीं बल्कि आस-पास के ग्रामीण इलाकों में भी इमरती की काफी मांग है. यही वजह है कि 70 किमी दूर के ग्रामीण इलाकों से लोग इमरती लेने करौली आते हैं. कुछ दिनों बाद श्राद्ध पक्ष भी शुरू होने वाले हैं, तब इमरती की मांग और भी बढ़ जाएगी.

हाथों हाथ बिक जाती है ताजी इमरती
हलवाई बताते हैं कि जिनती इमरती रोज बनती हैं, वे शाम तक पूरी बिक जाती हैं. यही वजह है कि लोगों को हर दिन ताजा इमरती मिलती हैं और इसके स्वाद को वो भूलते नहीं हैं. वर्षों से चली आ रही इस दुकान में बनने वाली लजीज इमरती की तरफ आज भी लोग खींचे हुए चले आते हैं.
प्रतिष्ठान का पता:- पंचायती मंदिर के सामने सदर बाजार करौली
संपर्क सूत्र:- 8432319187

Tags: Karauli news, Rajasthan news

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