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राजस्थान का वो शहर, जहां फेमस है बूरे-बताशे, भूत गली, मेला दरवाजा और चोर खिड़कियां, जानें डिटेल

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मोहित शर्मा/करौली. भूत गली, बारियों की गली, सिनेमा हॉल वाली गली, बूरे-बताशे वाली गली. ये कुछ नाम हैं राजस्थान के करौली जिले की उन तंग गलियों के जिनसे सिर्फ पैदल ही गुजरा जा सकता है. ज्यादा से ज्यादा एक बाइक निकल सकती है. चौपहिया वाहनों की तो सोच भी नहीं सकते. एक और खास बात ये इनमें भटकने की आशंका काफी ज्यादा रहती है, क्योंकि ज्यादातर गलियां एक जैसी ही नजर आती हैं. हालांकि इन्हीं गलियों की वजह से करौली की एक विशेष पहचान पूरे राजस्थान में है.

इतिहासकार बताते हैं कि करौली में जिस इलाके में जिस समुदाय के लोग रहते थे, वहां की गली का नाम उसी समुदाय या किसी गणमान्य व्यक्ति के नाम पर रख दिया जाता था. मसलन डॉक्टरनी की गली, सेवा सिंह की गली इन्हीं के उदाहरण हैं. ऐसे नाम वाली कई गलियां करौली में मिल जाएंगी.

जानिए निर्माण की वजह
करौली की स्थापना 1348 में यादव वंश के राजा अर्जुन पाल ने की थी. प्राचीन समय में यह नगरीऊबड़-खाबड़ रास्तों और बीहड़ों से घिरी हुई थी. रास्ते सुगम नहीं होने के चलते तत्कालीन राजाओं ने गलियों का निर्माण करवाया. यही वजह है कि यहां की बसावट में गलियों की संख्या ज्यादा है.

दूसरी खूबियां भी हैं
करौली का प्राचीन नाम कल्याणपुरी था, जो कल्याण जी के मंदिर के कारण प्रसिद्ध था. इसको भद्रावती नदी के किनारे होने की वजह से भद्रावती नगरी भी कहा जाता था. करौली चारों तरफ से लाल स्टोन से निर्मित है जिसकी परिधि 3 .7 किमी है. इसमें 6 दरवाजे 12 खिड़कियां हैं. बस स्टैंड की तरफ से आने वालों के लिए हिंडौन दरवाजा शहर का एंट्री गेट है.

जानिए खिड़की और दरवाजे के नाम
करौली के कल्याण जी मंदिर में गणेश दरवाजा, हिंडौन दरवाजा, वजीरपुर दरवाजा, मेला दरवाजा, नदी दरवाजा, मासलपुर दरवाजा, साईनाथ खिड़कियां, परशुराम खिड़कियां, कायस्थ खिड़कियां, होली खिड़कियां, गुसाई खिड़कियां, चोर खिड़कियां, शुक्ल खिड़कियां, पठान खिड़कियां, चमर खिड़कियां, गुसाई खिड़कियां, होली खिड़कियां, हनुमान खिड़कियां नाम यहां प्रसिद्ध है.

Tags: Karauli news, Rajasthan news

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