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जयपुर. राजस्थान में बिजली संकट गहराता जा रहा है. मानसून की बेरूखी से कृषि के क्षेत्र में भी बिजली की मांग बढ़ गई है. बिजली की मांग बढ़ने से हालात ऐसे हो गए हैं कि शाम के समय 7 बजे से रात 11 बजे तक जब बिजली की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब ग्रामीण क्षेत्रों में दो घण्टे तक का कट लगाया जा रहा है. एक्सचेंज से मंहगें दामों में बिजली की खरीद भी की जा रही है. इसके बाद भी कई इलाकों में लगातार पांच घंटे तक बिजली कट रखी जा रही है. इससे ग्रामीण इलाकों में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
इन यूनिटों में आई तकनीकी खराबी
ऊर्जा विकास निगम की मानें तो मानसून के दौरान रबी की फसलों से पहले सालाना विद्युत उत्पादन इकाईयों को रखरखाव के लिए शटडाउन लिया जाता है. इस बार पिछले साल की तुलना में इस बार लोड का आंकलन सही नहीं होने के कारण और विंड एनर्जी पूरी नहीं मिलने के कारण कटौती के हालात पैदा हुए हैं. अभी केटीपीएस की 210 मेगावॉट की तीन नम्बर की इकाई में उत्पादन ठप है. छबड़ा की 250 मेगावॉट की चार नम्बर और 660 मेगावॉट की 6 नम्बर की इकाई में उत्पादन बन्द है. सूरतगढ़ की 250 मेगावॉट की एक नम्बर की और 660 मेगावॉट की दोनो सात और आठ नम्बर में उत्पादन ठप है.
अडा़णी की 660 मेगावाट की दो इकाईयों में एक पहले से बन्द थी वही एक ओर बन्द हो जाने के काऱण बिजली का शॉटफॉल हो गया है. काली सिंध की 660 -660 मेगॉवाट की दोनो इकाइयों से केवल 425 मेगॉवाट का उत्पादन हो रहा है. प्रदेश में शाम के समय खासतौर से सात बजे से 11 बजे तक लोड बढ़ा रहता है. इस दौरान ही बिजली की जम कर कटौती ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही है. हालाकी ऊर्जा विकास निगम की ओर से दावा किया जा रहा है कि जल्द आपूर्ति को सुचारू किय़ा जााएगा.
2 हजार से 27 सौ मेगावॉट का चल रहा है शॉटफॉल
प्रदेश में अभी मानसून की सक्रियता कम होने के बाद सोलर से लगभग तीन हजार मेगावॉट बिजली मिल जाती है, लेकिन शाम के समय इससे कुछ नही मिलता वही विंड एनर्जी से अनिश्चितता बनी रहती है. ऊर्जा विकास निगम ने बिजली की कमी को पाटने के लिए अपने एक्शन प्लान के तहत 2 सितम्बर के लिए 274 लाख यूनिट की खरीद 8.34 रू.प्रतियूनिट के हिसाब से की है. वहीं 2 हजार मेगाव़ॉट बिजली के शॉट फाल को पाटने के लिए 5.65 पैसे में बिजली की खरीद की जा रही है.
बिजली शॉटेज के तीन बड़े कारण बने ऊर्जा विभाग के लिए सरदर्द
असल में मानसून की बेरूखी से कृषि के क्षेत्र में मूंगफली और कपास की फसल के लिए पानी देने के लिए किसान बोरवैल का सहारा लिया. पिछले दिनों में विंड एनर्जी से जो उत्पादन आना चाहिए था वो हवाओं के चलने से नहीं हो सका. रही सही कसर अडाणी की 660 मेगावॉट की एक इकाई में तकनीकी खराबी आने से और कालीसिंध की 660-660 मेगावॉट की दोनों इकाइयो से 425 मेगॉवॉट का ही उत्पादन हो रहा है जिसके चलते प्रदेश में बिजल का संकट पैदा हो गया.
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Tags: Jaipur news, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : September 02, 2022, 07:47 IST
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