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रिपोर्ट – मोहित शर्मा
करौली. भगवान बलदेव ब्रज के राजा और श्रीकृष्ण की बड़े भाई थे. भगवान श्री कृष्ण से बलदेव महाराज 1 साल बड़े थे और इन्हें कृषि देवता के नाम से भी जाना जाता है, जिन्हें बलभद्र, दाऊ इत्यादि नामों से जाना जाता है. राजस्थान में बलदेव का एकमात्र मंदिर करौली जिले में है. इस मंदिर और बलदेव जी को कृषि देवता के रूप में पूजने की अपनी अलग मान्यता है. इस मंदिर में भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.
बताया जाता है कि महाभारत युद्ध खत्म होने के बाद हस्तिनापुर में अकाल पड़ा था, तब दुर्योधन की पत्नी द्वारका आई थीं और उन्होंने भगवान बलदेव को जमीन जोतने के लिए बुलाया था. भगवान द्वारा जमीन जोतने के कारण वहां की जमीन उर्वरक बन गई और हस्तिनापुर समृद्ध बन गया. भगवान बलदेव का मुख अस्त्र हल था. इसलिए इन्हें हलदर के नाम से भी जाना जाता है.
धूमधाम से मनाया गया भगवान बलदेव का जन्मोत्सव
भगवान बलदेव का जन्म उत्सव जन-जन की आस्था का केंद्र श्री दाऊजी महाराज के जन्मोत्सव बलदेव छठ के अवसर पर बीते शुक्रवार को दाऊजी महाराज मंदिर पर धूमधाम के साथ मनाया गया, जिसके चलते श्रद्धालुओं की दिनभर भीड़ लगी और श्रद्धालुओं ने दाऊजी महाराज की कनक दंडवत कर यात्रा की और परिवार की उन्नति और खुशहाली की कामना की.
क्या है इस प्राचीन मंदिर की खासियत?
भगवान बलदेव की विशेष पूजा अर्चना बलदेव छठ और गोवर्धन पूजा पर भगवान के अभिषेक और श्रृंगार के साथ की जाती है, जिसमें बलदेव भगवान का मक्खन मिश्री, भांग ठंडाई, मूंग की बर्फी और चना खीरा का विशेष प्रसाद लगाया जाता है. प्राचीन समय में यहां सावन माह के दूसरे सोमवार को विशाल मेला भरता था, जिसमें बड़ी श्रद्धा से लोग यहां आया करते थे. यह मंदिर हरियाली और मनोरम दृश्यों के लिए अपनी एक विशेष पहचान रखता है. इस मंदिर में बलदेव जी की प्रतिमा के पश्चिम दिशा में पवन पुत्र हनुमान जी का मंदिर है. इस प्राचीन मंदिर की स्थापना से पहले यहां पर संत रहते थे और तपस्या करते थे और तब से ही यहां संत परंपरा के अनुसार पूजा अर्चना संत भगवान दास जी के शिष्य महंत हरिचरण दास जी द्वारा की जाती है.
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Tags: Karauli news, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : September 07, 2022, 09:29 IST
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