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राजस्थान विधानसभा सत्र: विधायकों को चुकानी पड़ेगी राज्यपाल और सरकार के बीच जारी तल्ख रिश्तों की कीमत

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जयपुर. राजस्थान में अगले महीने विधानसभा का सत्र शुरू होने जा रहा है. बजट सत्र का सत्रावसान नहीं करने से प्रतिपक्ष सरकार पर हमलावर है. विपक्ष ने सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने के गंभीर आरोप लगाये हैं. वहीं सरकार का कहना है कि वो ऐसा कुछ नहीं कर रही,जिसे लेकर विवाद होना चाहिए. राज्यपाल और सरकार के बीच जारी तल्ख रिश्तों की कीमत विधायकों को चुकानी पड़ेगी. गौरतलब है कि विधानसभा का सत्र सितंबर महीने में फिर शुरू हो रहा है.

सरकार बजट सत्र का सत्रावसान करने की बजाय उसे जारी रखकर राजभवन से मंजूरी लेने की बाध्यता से बच गई. मगर इससे विधायकों के अधिकारों पर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. एक सत्र में एक विधायक 100 सवाल पूछ सकता है. इनमें भी 40 तारांकित एवं 60 अतारांकित प्रश्न पूछने का प्रावधान है. मगर सत्रावसान ना होने से 30 विधायकों का कोटा तो पूरा हो गया है.

विपक्ष सरकार की इस नई परंपरा को अलोकतांत्रिक करार दे रहा है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया इसे सीएम और विधानसभा स्पीकर की मिलीभगत का खेल तक बताने से नहीं चूक रहे. कटारिया कह रहे हैं कि सरकार पर संकट है, इसलिए वो विधायकों के प्रश्न पूछने की आजादी पर अंकुश लगा रही है.

कई माननीयों को रहना पड़ेगा मौन

सत्र के जारी रहने से कई माननीयों को मौन धारण करना पड़ेगा. ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को दिख रहा है. जो अगले साल सूबे की सत्ता को हासिल करने की जुगत में विधानसभा में इस बार और ज्यादा आक्रामक रूख अख्तियार करने की तैयारी कर रही है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया इसे लोकतंत्र की सेहत के लिए ठीक नहीं मान रहे. उनकी निगाह में विधायकों के हक पर सरकार का डाका कहां का न्याय है. सरकार सवालों से डर रही है. अगर सवाल पूछने पर ही पाबंदी लग गई तो जवाबदेही कैसे तय होगी? जनता की आवाज सदन में ही नहीं उठेगी तो फिर कैसे जनता को इंसाफ मिलेगा.

विपक्ष के दावों को खारिज कर रही सरकार

सरकार विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर रही है. संसदीय कार्यमंत्री और सरकार के विधानसभा में संकटमोचक शांति धारीवाल भाजपा की आशंकाओं को निराधार करार दे रहे हैं. धारीवाल कह रहे हैं विपक्ष को सवाल पूछने से कौन रोक रहा है. सत्रावसान करना है या नहीं करना, ये सरकार का अधिकार है. जनहित को देखकर ही सरकार इस बाबत फैसले लेती है. इस पर हंगामा करना बेबुनियाद है और ये पूरी तरह से संविधान के अनुरूप है. ये परंपरायें तो पहले से ही चली आ रही हैं.

Tags: Jaipur news, Rajasthan news

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