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राजस्थान विधानसभा सत्र: 33 विधायकों को प्रश्नकाल में रहना पड़ेगा चुप, नियमों के फेर में फंसे

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हाइलाइट्स

एक सत्र में एक विधायक 40 तांराकित और 60 अतारांकित सवाल लगा सकता है
33 विधायक अपना कोटा पहले ही पूरा कर चुके हैं लिहाजा वे और सवाल नहीं लगा सकते

जयपुर. राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly Session) की बैठक 19 सितंबर से शुरू होने जा रही है. मौजूदा सातवें सत्र यानि बजट सत्र (Budget session) के अगले चरण के रूप में इस बैठक को माना जा रहा है. लिहाजा सदन के अंदर विधानसभा के सदस्यों की ओर से लगाए जाने वाले सवालों की संख्या समिति रहने वाली है. उसकी वजह है कि सदन में एक सत्र में एक सदस्य 40 तांराकित और 60 अतारांकित सवाल ही लगा सकते हैं. ऐसे में सदन के अंदर सक्रिय रहने वाले सत्ता और विपक्ष के विधायक सवालों के जरिये सरकार का ध्यान आकर्षित नही कर पाएंगे. लगातार दूसरी बार सरकार ने बिना सत्रावसान के बैठक बुलाई है. लिहाजा 33 विधायक इस सत्र की बैठक के दौरान सवाल नहीं लगा पाएंगे.

बजट सत्र के दौरान सदन में ज्यादा सवाल लगाकर सक्रिय रहने सदस्य संभवतया इस सत्र में सवाल नहीं लगा पायेंगे. क्योंकि उन्होंने अपने सवालों का कोटा पहले ही पूरा कर लिया है. वे इस सत्र में सवाल लगाने से वंचित रहने वाले हैं. जानकारी के मुताबिक विधानसभा सचिवालय नियमों का हवाला देकर उन सदस्यों के सवालों को स्वीकार नहीं करेगा जो पहले ही कुल 100 सवाल लगा चुके हैं. इस सत्र में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ,उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल समेत सत्ता पक्ष के विधायक रामनारायण मीणा, गणेश घोघरा और भरत सिंह कुन्दपुर सवाल लगाने को लेकर वंचित रहने वाले हैं.

ये विधायक भी नहीं लगा पायेंगे सवाल

वहीं विधायक अनिता भदेल, अमृतलाल मीणा, अविनाश, कालीचरण सराफ, गिरधारीलाल, गोपाललाल शर्मा, चन्‍द्रकान्‍ता मेघवाल, छगन सिंह, धर्मनारायण जोशी, नारायण सिंह देवल, निर्मल कुमावत, प्रताप सिंह, फूल सिंह मीणा, बलजीत यादव, बिहारीलाल, मदन दिलावर, रामलाल मीणा, वासुदेव देवनानी, संतोष, संदीप शर्मा, सतीश पूनिया, समाराम गरासिया, सुभाष पूनिया, सुमित गोदारा, सुरेश टाक, हमीर सिंह भायल और दीप्ति किरण माहेश्‍वरी मौजूदा बैठक के दौरान सवाल नही लगा पाएंगी.

दूसरा सत्र छोटा होने पर कम सवाल लगाने के हैं नियम

विधानसभा में दूसरे सत्र की बैठकें बजट सत्र की अपेक्षा कम होने के कारण एक सदस्य 20 तारांकित और 40 अतारांकित यानि कुल 60 सवाल लगा सकता है. ऐसे में विधायकों का कहना है कि सक्रिय विधायकों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. सत्ता पक्ष के विधायक भरतसिंह कुंदनपुर ने कहा कि विधायक सवालों के जरिए जानकारी प्राप्त करता है. अगर किसी मसले पर जानकारी होती है तो सवाल के जरिए सरकार का ध्यान दिलवाते हैं. अब विकल्प के तौर पर या तो चुप बैठो या फिर अधिकारों के लिए सरकार का ध्यान दिलवाओ. भरत सिंह ने कहा कि पिछले सत्र के दौरान सदन का कार्यवाही में भाग ही नहीं लिया था.

देवनानी बोले सरकार वेंटीलेटर पर चल रही है

कांग्रेस विधायक रामनारायण मीणा का कहना है कि सवाल नहीं लगने से विधायकों को अपने क्षेत्र की जानकारी हासिल करने में दिक्कतें आएंगी. सत्रावसान हो जाता तो अंतसत्रकालीन सवाल लगा सकते थे. बीजेपी विधायक वासुदेव देवनानी का कहना है कि सरकार वेंटीलेटर पर चल रही है. मंत्री बिना तैयारी के आते हैं. सवालों से घबराते हैं. इसलिए सरकार ने लोकतंत्र और राज्यपाल के अधिकारों का गला घोंटा है. अब अन्य माध्यमों से सरकार को घेरने का काम सदन में किया जाएगा.

सराफ बोले विधानसभा की परंपराओं का खुला उल्लंघन हो रहा है

वहीं विधायक कालीचरण सराफ का कहना है कि राजस्थान विधानसभा की परंपराओं का खुला उल्लंघन हो रहा है. अपने क्षेत्र और प्रदेश की समस्याओं को सदन में अब कैसे उठाऊंगा. नियमों में शिथिलता मिलनी चाहिए. ऐसे सत्र का कोई मतलब नहीं है. गहलोत सरकार ने सदन में नई पंरपरा शुरू की है. बीजेपी विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी का कहना है कि बजट के समय जो सवाल लगाए थे वो उस समय के थे. अब नए मुद्दे सामने आए हैं तो उनकी जानकारी कैसे मिलेगी. सवाल नहीं लगा पाना विधायक के अधिकारों का हनन है. विपक्ष के विधायक का हथियार तो सवाल ही होते हैं. उन्हें ही खत्म कर दिया जाएगा तो लोकतंत्र कहां बचेगा.

Tags: Ashok Gehlot Government, Jaipur news, Rajasthan news, Rajasthan vidhan sabha

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