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हम साल 2022 में जी रहे हैं, यहां रोजाना नए-नए अविष्कार होते हैं, हम चांद पर पहुंच गए, हम मंगल ग्रह पर पहुंच चुके हैं. ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां लड़कियों ने अपनी कामयाबी के झंड़े ना गाड़े हों. एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने से लेकर फाइटर प्लेन चलाने तक, लड़कियां आसमान फतह कर रही हैं. लेकिन आज एक ख़बर ने दिमाग को सुन्न कर दिया है.
क्या इस सदी में संभव है कि कोई लड़की अपनी वर्जिनिटी साबित करे? क्या किसी सभ्य समाज को ये अधिकार है कि वो किसी लड़की से उसकी वर्जिनिटी के बारे में सवाल करे? आज के इस वैज्ञानिक युग में किसी लड़की से उसकी वर्जिनिटी साबित करने को कहना किसी क्रूरता से कम नहीं है. लेकिन आप हैरान मत होइए ऐसा अब भी हो रहा है. और ये सब हो रहा है अपने ही देश में, जहां औरत को देवी का दर्जा प्राप्त है.
राजस्थान के भीलवाड़ा से शर्मसार करने वाली खबर आई है. ये ख़बर है कि शादी के बाद वर्जिनिटी टेस्ट में फेल होने पर ससुराल वालों ने लड़की को घर से निकाल दिया है. इतना ही नहीं गांव की खाप पंचायत ने लड़की के घरवालों पर शुद्धिकरण के नाम पर 10 लाख का भारी भरकम जुर्माना भी ठोक दिया है. लड़की के साथ ये हैवानियत कुकड़ी प्रथा के नाम पर की गई. जिसमें शादी के बाद लड़की का वर्जिनिटी टेस्ट कराया जाता है. लड़की ने बताया कि शादी के पहले पड़ोस के रहने वाले एक युवक ने उसके साथ बलात्कार किया था जिसकी रिपोर्ट थाने में भी दर्ज है. लेकिन ससुराल वाले लड़की की इस बात से संतुष्ट नहीं हुए।
कुकड़ी प्रथा क्या है?
हम सभ्य समाज में रहने का दावा करते हैं, बेटियों के सम्मान के लिए बड़े बड़े नारे दिए जाते हैं. लेकिन कुकड़ी प्रथा जैसी कुरीति सभ्य समाज के मुंह पर तमाचा हैं. देश के कई इलाकों में कुकड़ी प्रथा जैसी कुरीति महिलाओं के सम्मान और इज्जत को पैरों तले रौंद देती है. इस प्रथा में नव विवाहित दुल्हन का कौमार्य टेस्ट किया जाता है, अगर दुल्हन इस वर्जिनिटी टेस्ट में फेल होती है तो उसको टॉर्चर किया जाता है.
राजस्थान में सांसी समाज, महाराष्ट्र में कंजारभाट समाज इत्यादि राज्यों में आज भी कुकड़ी की प्रथा है. इस प्रथा में नवविवाहित वधु का कौमार्य परीक्षण किया जाता है. सुहागरात में शादीशुदा जोड़े के बिस्तर पर एक सफेद चादर बिछाई जाती है. इसके साथ साथ बिस्तर पर एक साफ सुथरे धागे की बनी कुकड़ी रखी जाती है. इस प्रथा के दौरान जब सुहागरात के दिन दोनो में शारीरिक संबंध स्थापित हो जाता है तो अगली सुबह परिवार वालो के द्वारा कुकड़ी और चादर पर खून के निशान ढूंढे जाते है.
यदि चादर पर खून के निशान नहीं मिलते है तो ऐसे में लड़की को चरित्रहीन या अपवित्र माना जाता है. यहां उस लड़की पर अत्याचार होना शुरू हो जाता है. वर्जिन न होने पर ससुराल वाले मारते और पीटते है और दबाव बनाते है कि वो पंचायत के सामने कबूल करे कि उसका किसी और के साथ पहले संबंध था. संबंध ना होने पर भी लड़की के साथ लगातार अत्याचार और मारपीट के कारण लड़की को मानना पड़ता है कि उसका संबंध किसी और के साथ था. गांव के पंचायत में भी उसके साथ बहुत से अत्याचार होते है. इतना अत्याचार होता है कि उसका जीना दुश्वार हो जाता है.
कुकड़ी प्रथा को रोकने के लिए कानून?
इस प्रथा को रोकने के लिए अभी तक कोई कानून नहीं बना है. इसमें पीड़ित महिला के साथ बहुत अत्याचार किए जाते है उन्हें डरा धमका कर किसी और से संबंध स्थापित करने की बात को मनवा लेते हैंं. अगर पीड़ित महिला खुद जाकर अपने आप पर हुए अत्याचार का कुबूलनामा पुलिस को बताए तो ही कोई कानूनी कारवाई की जा सकती है लेकिन बहुत ही कम ही महिलाएं ऐसा कर पाती है.
वर्जिनिटी टूटना यानि
किसी भी लड़की की वर्जिनिटी को लेकर पहले तो सवाल नहीं किए जा सकते हैं. लेकिन वर्जिनिटी टूटने को लेकर कई तरह के भ्रम भी हैं. हालांकि ये कहा जाता है कि ऐसा कोई तरीका है ही नहीं जिससे ये पता लगाया जा सकते कि कोई लड़की वर्जिन है या नहीं. दरअसल, पहली बार सेक्स करते समय वर्जिनिटी खोने और हाइमन (पतली झिल्ली) के टूटने को लेकर शक बना रहता है.
ये कहा जाता है कि हाइमन टूटने की वजह सिर्फ सेक्स है. सेक्स के अलावा कई और वजहों से भी हाइमन ब्रेक हो सकती है. अगर लड़की साइकिल चलाती है या खेल कूद में हिस्सा लेती है तो भी हाइमन ब्रेक हो सकती है. अगर पहले से हाइमन टूटी हुई है तो पहली बार के सेक्स में ब्लीडिंग नहीं होगी.
शुद्धिकरण के नाम पर अत्याचार
भीलवाड़ा में जिस लड़की को वर्जिनिटी टेस्ट के नाम पर सुसराल से निकाल दिया गया वो वर्जिनिटी टेस्ट में फेल हो गई थी. उसने बताया कि उसके साथ बलात्कार हुआ था. लेकिन खाप पंचायत और ससुरालवालों ने 10 लाख रुपए की मांग की. यानि कि लड़की का शुद्धिकरण किया जाएगा. अब सवाल ये उठता है कि क्या बलात्कार से कोई लड़की दूषित हो जाती है? क्या बलात्कार में वो पीड़ित नहीं है? खाप को ये फैसला सुनाने का अधिकार किसने दिया, वो किसी को सजा सुनाने वाले होते कौन है? कुकड़ी प्रथा की वजह से इलाके में कई लड़कियां अपनी जान ले चुकी हैं लेकिन ये प्रथा बदस्तूर जारी है.
इस खबर के आने के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. सबसे पहला सवाल ये है कि लड़कियों की वर्जिनिटी के मायने क्या हैं? आखिर ये कैसा समाज है जो लड़कियों का वर्जिनिटी टेस्ट ले? आखिर इस वैज्ञानिक युग में ये कौन सी परंपरा चला रहे हैं, जहां खून के धब्बे से किसी लड़की के किरदार पर दाग लगाए या साफ किए जाएंगे? कुकड़ी जैसी कुप्रथा को खत्म करने को लेकर सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए और सख्त कानून बनाना चाहिए क्योंकि ये अधिकार किसी को नहीं है कि वो किसी लड़की को सरेआम बेज्जत करें, उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाएं और उसके किरदार पर उंगली उठाएं.
निदा रहमानपत्रकार, लेखक
एक दशक तक राष्ट्रीय टीवी चैनल में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी. सामाजिक ,राजनीतिक विषयों पर निरंतर संवाद. स्तंभकार और स्वतंत्र लेखक.
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