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रायपुर. छत्तीसगढ़ बीजेपी 2018 में चुनावी हार को पीछे छोड़ते हुए बदले हुए समीकरण के साथ अब धरातल पर दिखाई दे रही है. यहीं वजह है कि पहले संगठन में बड़े बदलाव के बाद अब धरातल पर सक्रियता शुरू हो गई है. पहले युवामोर्चा का दमदार आंदोलन और फिर केन्द्रीय मंत्री अमित शाह का रायपुर दौरा. इन सब के अलावा भी कर्मचारियों के आंदोलन को समर्थन देते हुए पहले पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का बयान जारी करना और फिर बाद में प्रदेशाध्क्ष अरूण साव का धरना स्थल पर जाकर समर्थन देना बताने के लिए काफी हैं कि बीजेपी चुनावी साल से पहले कर्मचारियों और युवाओं को साधना चाहती है.
हालांकि बीजेपी की इस रणनीति पर कांग्रेस ने निशाना साधा है. कांग्रेस नेता इसे दिखावे की राजनीति बता रहे हैं. संसदीय सचिव विकास उपाध्याय का कहना है कि बीजेपी के पास प्रदेश में कोई मुद्दा बचा नहीं है. इसलिए दिखावे की राजनीति कर रही है. बीजेपी ने 15 सालों की अपनी सरकार के दौरान कर्मचारियों का ख्याल नहीं रखा, युवा बेराेजगार होते गए. जबकि चार साल के कार्यकाल में ही कांग्रेस सरकार ने जनता के हित में अहम निर्णय लिए हैं.
आक्रामक हुई बीजेपी
छत्तीसगढ़ बीजेपी नेतृत्व परिवर्तन के बाद से आक्रमक दिखाई दे रही है. चाहे बयानो के जरिए हो या फिर लोगों के बीच जाकर उनके मुद्दों को उठाने का विषय हो. बीजेपी की ओर से प्रदेश प्रवक्ता केदार गुप्ता कहते हैं कि राज्य सरकार कुछ कर तो नहीं रही है बस बयानबाजी कर रही है. क्योंकि केंद्र के समान कर्मचारियों को भत्ता को हमारा पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश भी दे रहा है. बहरहाल चुनावी साल से पहले भले ही मुद्दों और रणनीतियों को लेकर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने हो मगर प्रदेश के कर्मचारी-अधिकारी समझ चुके हैं कि अभी नहीं तो कभी नहीं और यहीं वजह हैं कि बीते 22 अगस्त से अनिश्चतकालीन हड़ताल पर हैं तो वहीं युवाओं को साधने में बीजेपी की ओर से लगातार कैंपेनिंग चलाया जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED : August 29, 2022, 08:14 IST
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