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Chhattisgarh: यहां हर 12वें शख्स में कोरोना के लक्षण जैसी दूसरी बीमारी, 5 माह में मिले 9341 संदिग्ध

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कोरबा. छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी कोरबा जिले में तेजी से टीबी (Tubercle Bacillus ) पांव पसारने लगा है. कोरबा में मई से 10 जुलाई 2022 के बीच 79 और नए टीबी रोगियों की पुष्टि हुई है, जबकि जनवरी 2022 से मई 2022 के बीच 9361 क्षय रोग संदिग्ध लोगों की स्क्रीनिंग हुई थी, इसमें 795 मरीज टीबी से ग्रसित मिले थे. इस वर्ष 874 मरीज मिल चुके हैं. यानी कि संदिग्धों की जांच में हर 12वां व्यक्ति टीबी से ग्रसित मिल रहा है. सबसे अधिक स्लम बस्तियों में टीबी के मरीज मिल रहे है.

कोरबा के क्षय रोग नोडल अधिकारी डॉ जीएस जात्रा ने बताया कि टीबी रोगी खोज अभियान के तहत कारखाने, दफ्तर, गांव व शहरी इलाकों में जाकर टीबी रोगियों की खोज की जा रही है. अधिक से अधिक संभावित लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है. 28 मई से 10 जुलाई तक कुल 1,844 संभावित लोगों की जांच की गई, जिसमें 79 टीबी रोगियों की पहचान हुई है. इनका इलाज सरकारी अस्पताल में शुरू हो गया है.

घर-घर टीबी जांच अभियान
डॉ जात्रा के मुताबिक घर-घर टीबी जांच अभियान के तहत जिला टीबी नियंत्रण टीम के सदस्यों, मितानिन एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता टीबी की जांच कर रहे हैं. जांच में पॉजिटिव आने वाले मरीजों को निशुल्क उपचार भी उपलब्ध करवाया जा रहा है. इस संबंध में जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ. जी.एस. जात्रा ने बताया- अभियान के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर टीबी खोज सर्वे भी कर रहे है, साथ ही जिसमें लक्षण नजर आ रहे है उनकी जांच भी कराई जा रही है. अभियान के तहत जन-जागरुकता को विशेष महत्व देते हुए टीबी के संभावित मरीजों की जांच व उपचार के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी कार्यक्रम में शामिल कर उनका सहयोग लिया जा रहा है.

ये लक्षण आने पर कराएं जांच
डॉ जात्रा का कहना है कि सीने में दर्द होना, चक्कर आना, दो सप्ताह से ज्यादा खांसी या बुखार आना, खांसी के साथ मुंह से खून आना, भूख में कमीं और वजन कम होना आदि लक्षण दिखने पर फौरन चिकित्सक से संपर्क करें. टीबी की जांच के लिए सीबीनॉट व ट्रूनॉट मशीन,ड्रग रेजिस्टेंट टीबी की जांच एवं उपचार की सुविधा जिला स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए सीबीनॉट मशीन लगाई गई है. वहीं ब्लॉक स्तर पर ट्रूनॉट मशीन है. जिससे संभावित रोगियों का 2 घंटे में टीबी या ड्रग रेजिस्टेंट टीबी होने का पता लगाया जा रहा है. टीबी रोगियों की जांच और संपूर्ण उपचार सभी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क किया जाता है.

इसलिए बढ़े मरीज
कोरबा के स्थानीय लोगों का कहना है की कोरोना काल में टीबी की जांच और प्रचार प्रसार पर ब्रेक लगने के कारण मरीजों की संख्या बढ़ी है. स्थानीय निवासी अरविंद पांडेय का कहना है कि कोरबा एक औद्योगिक नगरी होने की वजह से वायु प्रदूषण भी एक बड़ा कारण है. पर्यावण संरक्षण की दिशा में काम कर रही सार्थक संस्था के अध्यक्ष लक्ष्मी चौहान का कहना है की हैवी इंडस्ट्रीज, पॉवर प्लांट, कोयला खदान,भारी वाहनों की वजह से कोरबा का प्रदूषण स्तर बढ़ा है. स्टेट हेल्थ सेण्टर ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें साबित हुआ कोरबा में प्रदूषण के कारण लोगो के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है. लोग पहले महीने या साल में एक दो बार हॉस्पिटल जाते थे अब साल भर में दस से अधिक बार हॉस्पिटल जाना पड़ रहा है.

Tags: Chhattisgarh news, Korba news

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