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भोपाल. मध्य प्रदेश में रेप, गैंगरेप, नाबालिग से गैंगरेप, आतंकवादियों और मादक पदार्थों के कारोबारियों को अंतिम सांस तक जेल में रहना होगा. सरकार इनके खिलाफ बनी नीति पर सख्ती से अमल करने की तैयारी में है. भोपाल में मंत्रालय में हुई बैठक में इसका फैसला हुआ.
प्रदेश की शिवराज सरकार अब नाबालिग से रेप गैंगरेप, आतंकियों और नशीले पदार्थों का व्यापार करने वाले आरोपियों के खिलाफ नरम रुख अपनाने के लिए तैयार नहीं है. सरकार ने तय किया है कि नाबालिग से रेप, गैंगरेप, आतंकी और नशीले पदार्थों का व्यापार करने वाले अपराधियों को जेल में आखिरी सांस तक रहना होगा. शिवराज सरकार ने आजीवन कारावास के कैदियों की कारावास की अवधि के निर्धारण के लिए तैयार हुई नीति पर सख्ती से अमल करने का संकेत दिया है.
नयी नीति में कड़े प्रावधान
मंत्रालय में हुई अहम बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐसे कैदियों की रिहाई की प्रस्तावित नीति 2022 में नियम को कड़े करने के निर्देश दिए हैं. बैठक में तय हुआ कि रेप के आरोपियों के साथ कोई रियायत नहीं बरती जाएगी. सीएम शिवराज की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रस्तावित नीति -2022 पर चर्चा हुई. प्रदेश में अभी 2012 की नीति लागू है. वर्तमान में प्रदेश की 131 जेलों में 12 हजार से अधिक बंदी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. ऐसे बंदियों के संबंध में जो नई नीति तैयार की गई है उसमें जघन्य अपराधियों को कोई राहत नहीं मिलेगी. आतंकी गतिविधियों और नाबालिगों से बलात्कार के अपराधियों का कारावास 14 वर्ष में समाप्त नहीं होगा. मध्यप्रदेश में ऐसे अपराधियों को अंतिम सांस तक कारावास में ही रहने की नीति बनाई गई है.
इन अपराधियों पर सख्ती
जो अपराधी इस श्रेणी में आएंगे उनमें विभिन्न आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त दोषी, नाबालिग से बलात्कार के दोषी, गैंगरेप के दोषियों, जहरीली शराब बनाने, विदेशी मुद्रा से जुड़े अपराधों, दो या दो से अधिक प्रकरण में हत्या के दोषी को अब अंतिम सांस तक जेल में रहना होगा. शासकीय सेवकों की सेवा के दौरान हत्या का अपराध करने वाले दोषी भी इनमें शामिल होंगे. इसी तरह राज्य के विरुद्ध अपराध और सेना के किसी भी अंग से संबंधित अपराध घटित करने वाले अपराधी भी किसी रियायत का लाभ नहीं ले सकेंगे.
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25 साल से पहले रिहाई नहीं
आजीवन कारावास से दंडित धारा 376 के दोषी बंदी भी 20 वर्ष का वास्तविक कारावास सहित 25 वर्ष पूरे करने से पहले जेल से रिहा नहीं हो सकेंगे. आजीवन कारावास के जिन बंदियों को 14 साल या 20 साल की वास्तविक सजा के बाद रिहाई की पात्रता बनेगी वह भी तभी रिहा होंगे जब कलेक्टर और एसपी और जिला प्रोसिक्यूशन आफिसर की समिति की सिफारिश होगी. जेल मुख्यालय इसकी सिफारिश राज्य सरकार को भेजेगा. सरकार की मंजूरी के बाद कैदी की रिहाई हो सकेगी.
साल में 4 बार रिहाई
2012 की नीति के मुताबिक अभी तक साल में दो बार 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदियों की रिहाई की जाती है. अब इसे बढ़ाकर साल में चार बार 15 अगस्त, 26 जनवरी, 14 अप्रैल और 2 अक्टूबर किया जा रहा है. कैदियों की रिहाई जिला स्तरीय समिति और जेल मुख्यालय की सिफारिश पर राज्य सरकार करेगी. बलात्कार के दोषियों के साथ कोई रियायत नहीं बरती जाएगी.
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Tags: CM Shivraj Singh Chouhan, Madhya pradesh latest news
FIRST PUBLISHED : September 02, 2022, 07:31 IST
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