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Rajasthan: यहां 500 साल से भी अधिक पुराने तंत्र-मंत्र आदि पांडुलिपियों का है अनूठा संग्रह, विदेशों से आते हैं रिसर्चर

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मुकुल परिहार, जोधपुर. जोधपुर में स्थित प्रदेश का एकमात्र राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान जिसमें प्राचीन दुर्लभ सचित्र हस्तलिखित ग्रंथों का अमूल्य संग्रह है. ग्रंथ सम्पदा का खजाना आम व्यक्ति की पहुंच से दूर रहा है. गत वर्षों में दुर्लभ सांस्कृतिक धरोहर की पहुंच आमजन तक हो सके. इस दृष्टि से नयनाभिराम आर्ट गैलरी में इन ग्रंथों व चित्रों को सुसज्जित किया हुआ है. इस संस्थान में तंत्र मंत्र से संबंधित सर्वतोभद्र यंत्र, गायत्री कामधेनु यंत्र, गोपाल पूजन, सूर्यप्रताप यंत्र पीरनामा एंव कपुरचक्र आदि यंत्र परिगणनीय है. इन दुर्लभ ग्रंथो में पूजन और साधक को सिद्धि आयु, विद्या ,यश, लक्ष्मी एंव शत्रु से विजय प्राप्त होने से सम्बंधित जानकारी लिपिबद्ध है. इन यंत्रों में जैन, हिन्दू एवं फारसी मंत्रों का दर्शन सन्निहित है.

देश विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थी और साहित्य अभिरुचि रखने वाले पाठक विगत 66 वर्षों से यहां की ग्रंथ सम्पदा का उपयोग अपने शोध प्रबंधों में करते आ रहे हैं. संस्थान द्वारा पुरातन ग्रंथ माला अंतर्गत 219 पुस्तके भी प्रकाशित की गई हैं. जो अध्ययताओं के लिए सुलभ है इन पुस्तकों में यहां के गर्न्थो के कैटलॉग भी विषयवार आकाराधिकर्म में मुद्रित है.

यह कहना है इनका
प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी ड़ॉ. कमल किशोर सांखला ने बताया कि यहां की विविध विषयक प्राचीन दुर्लभ पांडुलिपियां हमारे ऋषि मुनियों द्वारा प्रणीत है. जिनमें ज्ञान राशि का अकूत भण्डार संग्रहित है. जिनका उपयोग विगत वर्षों से शोधार्थियों एंव साहित्यिक अभिरुचि वाले विद्वानों द्वारा किया जा रहा है.

विदेशों से भी शोधार्थी आते है यहां
यहां के ऋषि मुनियों के ज्ञान से रूबरू होने के लिए देशी शोधार्थियों के अलावा विदेशों से भी अपने शोध विषय से सम्बंधित ऐतिहासिक स्रोत रूपी ज्ञान का अध्ययन कर अपने शोध प्रबंधों में उल्लेख कर रहे हैं.

Tags: Jaipur news, Rajasthan news

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