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एमपी की एकमात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी तैयार कर रही है मुन्नाभाई MBBS ! जस्टिस त्रिवेदी कमेटी की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

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जबलपुर. मध्य प्रदेश की एकमात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी क्या मुन्नाभाई एमबीबीएस तैयार कर रही है.  जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश की इकलौती मेडिकल यूनिवर्सिटी के डर्टी गेम को उजागर करती एक ऐसी ही जांच रिपोर्ट आयी है जिसने खलबली मचा दी है. साल 2011 में अस्तित्व में आई मध्य प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी के नित नए कारनामें उजागर हो रहे हैं. हाल ही में छात्रों को पास फैल करने के खेल में विश्वविद्यालय से जुड़ा एक बड़ा खुलासा हुआ है. ये खुलासा गड़बड़ियों की जांच के लिए हाई कोर्ट की ओऱ से बनायी गयी जस्टिस त्रिवेदी जांच कमेटी की रिपोर्ट में हुआ है. जो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं उसने एक बार फिर व्यापम जैसे बड़े घोटाले की याद दिला दी है.

जांच रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. उसमें तत्कालीन कुलपति डॉ टी एन दुबे, रजिस्ट्रार डॉ जे के गुप्ता, विश्वविद्यालय की परीक्षा नियंत्रक वृंदा सक्सेना, विश्वविद्यालय की उप कुलसचिव रहीं तृप्ति गुप्ता और रिजल्ट बनाने वाली कंपनी माइंड लॉजिक पर गंभीर आरोप प्रमाणित पाए गए हैं. 42 पन्ने की जांच रिपोर्ट ने विश्वविद्यालय के काले कारनामों की पोल खोल कर रख दी है जो बताती है कि मध्य प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी समाज को होनहार डॉक्टर नहीं बल्कि मुन्ना भाई एमबीबीएस दे रही थी. पास फेल करने के गंदे खेल का मामला बीते डेढ़ साल से मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की दहलीज पर पहुंचा. उसमें तथ्यात्मक आंकड़े रखने वाले याचिकाकर्ता विश्वविद्यालय को घोटाले और भ्रष्टाचार का बड़ा अड्डा बताते हैं.

जस्टिस त्रिवेदी की पांच सदस्यीय कमेटी की जांच रिपोर्ट के वह 10 तथ्य ….

1- पूर्व कुलपति टी एन दुबे ने भोपाल में 5 छात्रों को पास करने के लिखित निर्देश तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक तृप्ति गुप्ता को दिए.

2-विश्व विद्यालय में कार्यरत रहे पूर्व प्रभारी कुलसचिव जेके गुप्ता ने भी 7 छात्रों को पास करने का दबाव बनाया. उसके लिखित दस्तावेज जांच कमेटी को मिले हैं.
3-एनआरआई कोटे के तहत एमबीबीएस एमडी और बीडीएस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले 71 एनआरआई छात्रों में से 13 छात्रों को स्पेशल रिवेल्युएशन का लाभ दिया गया.

4-विश्व विद्यालय की नियमावली में कहीं भी स्पेशल रिवेल्युएशन का नियम नहीं है. बावजूद इसके ऊंचे घराने से आने वाले छात्रों को मनमाफिक ढंग से अंक देकर पास कराया गया.

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5-जांच कमेटी के समक्ष जो सबसे चौंकाने वाला तथ्य सामने आया वह बताता है कि इनरोलमेंट किसी नाम से हुआ लेकिन परीक्षा किसी छात्र ने दी और पास कोई और हो गया.

-जस्टिस त्रिवेदी जांच कमेटी ने प्राथमिक जांच में 278 मेडिकल छात्र ऐसे पाए जिनके दस्तावेज उनके मूल रिकॉर्ड से मेल नहीं खा रहे.

7-संस्था के मुखिया कुलपति से लेकर कुलसचिव तक हर किसी ने भ्रष्टाचार के इस खेल में अपने हाथ धोए.

8-जस्टिस त्रिवेदी जांच कमेटी ने विश्वविद्यालय के वर्तमान हालातों को लेकर चिंता जताई और कहा विश्वविद्यालय की कार्यशैली निराशाजनक है. वहां वर्तमान में ना अनुकूल हालात हैं और ना ही निष्पक्षता.

9-जस्टिस त्रिवेदी जांच कमेटी  ने सात बिंदुओं की अपनी सिफारिशें सरकार को दी हैं जो बताती हैं कि विश्वविद्यालय के अमेंडमेंट एक्ट 2011 में बदलाव कर काबिल और सक्षम अधिकारियों की पोस्टिंग विश्वविद्यालय में की जाए ताकि संस्थान की विश्वसनीयता कायम रह सके.

10-जांच कमेटी ने यह भी कहा कि छात्रों की परीक्षा देने से लेकर मार्कशीट बनने तक संस्थागत संचार में आधिकारिक और विश्वविद्यालय के ही ईमेल का इस्तेमाल अनिवार्य किया जाए ताकि इस प्रकार की भ्रष्टाचार जैसी वारदातों से बचा जा सके.

पास-फेल का खेल
विश्वविद्यालय में पास फेल का खेल कोई नया नहीं है. इससे पहले बीडीएस पाठ्यक्रम में अनाधिकृत तौर पर छात्रों को पास करने, विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड से सैकड़ों आंसर शीट का जलना हो, अनाधिकृत तौर पर असक्षम व्यक्ति का उच्च पदों पर आसीन और लगातार सिस्टम का फेल होना ये सभी घटनाएं विश्वविद्यालय की कार्यशैली को उजागर कर चुकी हैं.

Tags: Jabalpur Medical College, Madhya pradesh latest news, Munnabhai Arrested

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