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इंदौर. मध्य प्रदेश के राजनीतिक समीकरण फिर बदलने वाले हैं. इस बार दो किनारे साथ आते दिख रहे हैं. बात कर रहे हैं बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय और ज्योतिरादित्य सिंधिया की. दो दिन पहले ही सिंधिया अपने बेटे के साथ कैलाश विजयवर्गीय से मिलने इंदौर में उनके घर गए थे, जबकि एमपीसीए के जमाने से दोनों घुर विरोधी रहे हैं हैं. ये मुलाकात ऐसे समय हुई जब शिवराज को केंद्रीय चुनाव समिति से बाहर कर दिया गया है और कैलाश विजयवर्गीय से पश्चिम बंगाल का प्रभार ले लिया गया है. इस मुलाकात को सिंधिया का अपना कद बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
इंदौर में बीजेपी महासचिव के घर जाकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुलाकात ने सियासी हल्कों में हलचल मचा दी.कभी एक दूसरे के घुर विरोधी रहे कैलाश और सिंधिया के मिलन से मालवा की सियासत में कई नए समीकरण बनेंगे. मिशन 2023 की तैयारी में लगी बीजेपी को मालवा निमाड़ में और मजबूत होने का मौका मिलेगा,क्योंकि सत्ता का रास्ता भी मालवा से होकर गुजरता है.
एमपीसीए के जमाने से विरोध
मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के समय से एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय जैसे धुर विरोधियों की अचानक हुई आत्मीय मुलाकात राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है. ज्योतिरादित्य सिंधिया का नंदानगर की तंग गलियों में पहुंचकर कैलाश विजयवर्गीय के घर जाना राजनैतिक पंडितों को पच नहीं रहा है. वे तरह तरह के कयास लगा रहे हैं.
राजनीति में सब जायज़
ये पहली बार है जब सिंधिया,कैलाश के घर पहुंचे और दोनों की मुलाकात हो गई. इससे पहले सिंधिया ने कैलाश के घर जाकर मिलने का प्रयास किया था लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो पाई थी. लेकिन अब कैलाश विजयवर्गीय के बंगाल का प्रभार लेने के बाद माना जा रहा है कि वो एमपी में सक्रिय रहेंगे. इसीलिए इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं. हालांकि बीजेपी का कहना है कि ये तो सामान्य मुलाकात थी. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा हमारे दोनों ही बड़े नेता हैं. परस्पर मिलते ही रहते हैं, मिलना भी चाहिए. इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने कहा दोनों हमारे राष्ट्रीय नेता हैं. भारतीय जनता पार्टी एक परिवार है. परिवार में सब एक दूसरे से मिलते हैं. इसके कोई अलग मायने नहीं निकाले जाने चाहिए.
विजयवर्गीय ने ग्वालियर में हार पर कसा था तंज
हाल ही में कैलाश विजयवर्गीय ने ग्वालियर नगर निगम चुनाव में बीजेपी की हार के बाद सिंधिया पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि ग्वालियर में हार की मैं कल्पना नहीं कर सकता. ये अलार्मिंग है और मैं इससे इनकार नहीं कर सकता कि हम वहां एक ग्रुप के आने से ताकतवर हुए. उसके बाद भी हम हारे. इस पर हम विचार करेंगे. कैलाश विजयवर्गीय के इस बयान ने राजनैतिक हलचल पैदा कर दी थी.
सिंधिया-विजयवर्गीय दोनों का स्वार्थ
बावजूद इसके सिंधिया,कैलाश विजयवर्गीय से मिलने उनके घर पहुंचे तो कांग्रेस को मौका मिल गया. कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव का कहना है ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश में अपने आपको ताकतवर बनाने में लगे हुए हैं. इसके लिए उन्हें मालवा के क्षत्रप कैलाश विजयवर्गीय का साथ जरूरी है. विजयवर्गीय भी केंद्र की राजनीति से राज्य की राजनीति में लौट रहे हैं. यही वजह है कि सिंधिया ना चाहते हुए भी कैलाश विजयवर्गीय का ना केवल आशीर्वाद ले रहे हैं बल्कि अपना मार्गदर्शक भी बता रहे हैं.
दो विरोधियों की मुलाकात क्या गुल खिलाएगी
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कैलाश विजयवर्गीय को मार्गदर्शक बताने के लिए ऐसा वक्त चुना जब शिवराज सिंह को बीजेपी की नेशनल कमेटी से बाहर कर दिया गया है. दूसरा, कैलाश विजयर्गीय को पश्चिम बंगाल से फ्री करके अभी कोई दायित्व नहीं दिया है. तीसरा, मालवा के ही दलित नेता सत्यनारायण जटिया का 76 साल की उम्र में नेशनल लेवल पर अचानक कद बढ़ा देना, राजनैतिक उठापटक के संकेत दे रहा है. अब देखने वाली बात ये होगी इन दोनों क्षत्रपों का मिलन राजनीति क्या नए गुल खिलाता है.
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Tags: Jyotiraditya Scindia, Kailash vijayvargiya, Madhya pradesh latest news
FIRST PUBLISHED : August 25, 2022, 14:27 IST
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