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गैंगस्टर कौन, यह तय करने में मध्यप्रदेश सरकार को छूटे पसीने, टाला कानून

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हाइलाइट्स

सरकार ने मध्य प्रदेश गिरोहबंदी और समाज विरोधी कार्यकलाप (निवारण) विधेयक-2021 नाम से ड्राफ्ट बनाया है.
उत्तरप्रदेश के गैंगस्टर एक्ट और महाराष्ट्र के मकोका कानून की पृष्ठभूमि अलग हैं. इसलिए वैसा कानून लाना संभव नहीं.

भोपाल. उत्तरप्रदेश की योगी सरकार की तर्ज पर मध्यप्रदेश में गैंगस्टर, गुंडों और माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई के लिए बनाया गया गैंगस्टर कानून सिर्फ ड्राफ्ट बनकर रह गया है. एक साल बाद भी सरकार यह तय नहीं कर पाई कि गैंगस्टर किसे कहा जाएगा? लिहाजा, इस बार भी सितंबर में होने वाले विधानसभा सत्र में इस विधेयक को पेश नहीं किया जाएगा.

गुंडों पर योगी सरकार की कार्रवाई को देखकर बीते साल 11 सितंबर को गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश में भी मध्य प्रदेश गिरोहबंदी और समाज विरोधी कार्यकलाप (निवारण) विधेयक-2021 (गैंगस्टर एक्ट) लाने का ऐलान किया था. तब से लेकर अब तक 6 बैठकें हो चुकी हैं लेकिन अफसरों और मंत्रियों में सहमति नहीं बन पा रही है. दरअसल, इस कानून के दुरूपयोग की ज्यादा संभावनाएं है. लिहाजा, इससे निपटने के प्रावधानों पर अफसरों में सहमति नहीं है. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हमारी सरकार की मंशा माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई करने की रही है. लेकिन यह भी देखना होगा कि कहीं निर्दोष इसकी चपेट में न आ जाएं. लिहाजा, पूरी तरह से सोच-विचार कर ही विधेयक को अंतिम रूप दिया जाएगा.
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गैंगस्टर एक्ट के मसौदे पर इसलिए मतभेद
1. गृहविभाग के वरिष्ठ अफसरों का कहना है कि उत्तरप्रदेश के गैंगस्टर एक्ट और महाराष्ट्र के मकोका कानून की पृष्ठभूमि अलग हैं. इन राज्यों में संगठित अपराधों का लंबा इतिहास रहा है. जबकि मध्यप्रदेश में इस तरह की परिस्थितियां नहीं रही है. इसलिए दुरुपयोग की आशंका ज्यादा है.
2. दोनों ही राज्यों में जब एक्ट लाए गए थे, तब मानवाधिकार कानून ज्यादा सख्त नहीं थे. सुप्रीम कोर्ट के तब के निर्णय इन कानूनों का समर्थन करते थे. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में मध्यप्रदेश में सख्त कानून लाया गया तो कोर्ट में गिरने का खतरा है.
3. मौजूदा ड्राफ्ट में इस बात की संभावना थी कि किन्हीं दो चार अलग-अलग मामले और लोगों को जोड़कर उन सभी गैंगस्टर एक्ट लगा दिया जाए. इसी तरह, राजनीतिक हस्तक्षेप को रोकने के लिए भी पहले से प्रावधान होना चाहिए.
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वरिष्ठ सचिवों की समिति तय करेगी नए प्रावधान
हाल ही में आगामी विधानसभा सत्र को देखते हुए मसौदे की फाइल फिर चल पड़ी है. फिर भी, इस फाइल पर असहमतियों को देखते हुए अभी और बैठकें होंगी. इसके बाद फिर से सीनियर सेक्रेट्री की समिति और कैबिनेट में मसौदा भेजा जाएगा. इसमें करीब तीन महीने का वक्त लग सकता है. लिहाजा, इस बार विधानसभा में विधेयक पेश करने का निर्णय टाला गया है.

मौजूदा ड्राफ्ट में यह है प्रावधान
अवैध खनन, मिलावटी शराब, नकली दवा, मानव तस्करी, ड्रग्स, अवैध हथियार जैसे ऑर्गनाइज्ड क्राइम या संगठित अपराधों पर अंकुश लगाने का प्रावधान मसौदे में शामिल किया गया है. इसमें पुलिस के पास रिमांड के अधिकार बढ़ेंगे. एक्ट में 2 से 10 वर्ष तक की सजा और 25 हजार तक का जुर्माना होगा. अपराधी के सहयोगी को 3-10 साल की सजा होगी.

उत्तरप्रदेश में इन्हें कहा जाता है गैंगस्टर
उत्तरप्रदेश के गैंगस्टर अधिनियम 1986 के मुताबिक, एक या एक से अधिक व्यक्तियों का समूह जो अपराध के जरिए अनुचित लाभ अर्जित करता है, तो वह गैंगस्टर कहा जाता है. चाहे वह किसी भी तरह का अपराध हो. सीधे कहें तो गैंगस्टर एक अपराधी है, जो एक गिरोह का सदस्य है.

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