घोटालों का मध्यप्रदेश: कुपोषित बच्चों का भोजन कंपनियां हजम कर गई, गड़बड़ियां ऐसी कि मोटरसाइकिल को बना दिया ट्रक
[ad_1]
हाइलाइट्स
ऑडिटर जनरल ने जांच में गड़बड़ी पकड़ी और कार्रवाई के लिए मुख्यसचिव को रिपोर्ट भेजी है.
बीते कई सालों से पोषण आहार वितरण में घोटाला चल रहा है लेकिन सरकार इसे रोक पाने में अक्षम साबित हो रही है.
भोपाल. अखबारों में या टीवी पर कुपोषित बच्चों की तस्वीरें देखकर आपका मन विचलित हो जाता है. लेकिन सरकारों को इससे फर्क नहीं पड़ता है. उनके लिए यह कमाई का जरिया है. इसी वजह से मध्यप्रदेश में कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं तक पोषण आहार पहुंचाने वाली कंपनियां गड़बड़ियों से बाज नहीं आ रही है.
कंपनियों ने इस बार पोषण आहार घोटाले के लिए नया कारनामा कर दिया. इन्होंने जिन ट्रकों से 1100 टन के पोषण आहार का परिवहन बतलाया है, वे असलियत में मोटर साइकिल और स्कूटर निकले हैं. यानी कंपनियों ने मोटरसाइकिल से ट्रक की क्षमता वाला पोषण आहार ढोने का अविश्वनीय काम किया है. यही नहीं, फर्जी परिवहन के लिए कंपनियों को सात करोड़ रुपए भी अफसरों ने दे दिए हैं. ऑडिटर जनरल ने इसकी जांच की तो अब हड़कंप मच गया है. ऑडिटर जनरल ने घोटाले की पूरी रिपोर्ट मुख्यसचिव इकबाल सिंह बैंस को सौंप दी है. हालांकि मुख्यसचिव कार्यालय से अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
यह भी पढ़ें: गैंगस्टर कौन, यह तय करने में मध्यप्रदेश सरकार को छूटे पसीने, टाला कानून
गड़बड़ियों की तीन कहानियां
1. कागजों में एंट्री
प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत काम करने वाली आंगनबाड़ियों में कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार वितरित किया जाता है. पोषण आहार पहुंचाने की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को दी गई है. ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों ने परिवहन के लिए जिन ट्रकों के नंबर दिए थे, उनके रजिस्ट्रेशन नंबर की जांच मध्य प्रदेश समेत उन तमाम राज्यों की परिवहन विभाग की वेबसाइट से की गई, जहां के वे बताए गए थे. इन वेबसाइट पर ट्रक के नंबर स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार व ऑटो के पाए गए. यानी कंपनियों ने पोषण आहार का वितरण करने की बजाय सिर्फ कागजों में एंट्री दिखा दी.
2. 62 करोड़ का पोषण आहार की एंट्री ही नहीं
जांच रिपोर्ट में भोपाल, छिंदवाड़ा, धार, झाबुआ, रीवा, सागर, सतना और शिवपुरी जिलों में करीब 97 हजार मैट्रिक टन पोषण आहार स्टॉक में होना बताया था. जबकि करीब 87 हजार मैट्रिक टन पोषण आहार बांटना बताया. यानी करीब 10 हजार टन आहार गायब था. इसकी कीमत करीब 62 करोड़ रुपए है. इसी तरह शिवपुरी जिले के दो विकासखंडों खनियाधाना और कोलारस में सिर्फ आठ महीने के अंदर पांच करोड़ रुपए के पोषण आहार का भुगतान स्वीकृत कर दिया. इनके पास स्टॉक रजिस्टर तक नहीं मिला. इसके चलते पोषण आहार के आने-जाने की कोई एंट्री या पंचनामा नहीं मिला. यही नहीं, बिना किसी प्रक्रिया के अधिकारियों ने फर्मों को पूरा भुगतान कर दिया.
यह भी पढ़ें: कारम डैम जांच रिपोर्ट: निर्माण में कोई खामी नहीं, जल्दीबाजी की वजह से फूटा
3. 238 करोड़ रुपए का घटिया पोषण आहार बांटा
प्रदेश सरकार ने पोषण आहार की गुणवत्ता की जांच एक स्वतंत्र लैब से भी कराई. इसमें पाया गया कि प्रदेश की विभिन्न फर्मों ने करीब 40 हजार मैट्रिक टन पोषण आहार घटिया गुणवत्ता वाला बांट दिया है. यही नहीं, इसके एवज में अफसरों ने करीब 238 करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया. फिर भी, घटिया गुणवत्ता का पोषण आहार सप्लाई करने वाली फर्मों के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की. इतना ही नहीं जिम्मेदार अधिकारियों से इस संबंध में कोई पूछताछ भी नहीं की गई.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Bhopal latest news, Bhopal News Updates, Chief Minister Shivraj Singh Chauhan, Madhya Pradesh government, Madhya Pradesh News Updates, Malnourished state, Mp news live today, Scams in MP, मध्य प्रदेश
FIRST PUBLISHED : September 01, 2022, 17:32 IST
[ad_2]
Source link