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भोपाल एम्स के डॉक्टर्स ने दो दिन के बच्चे के शरीर में बना दी आहार नली, मप्र-छग में पहली बार इतने छोटे बच्चे की जटिल सर्जरी

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भोपाल. राजधानी के पड़ोसी जिले विदिशा के एक परिवार में जन्मा बच्चा दूध नहीं पी पा रहा था. विदिशा मेडिकल कॉलेज में बच्चे की जांच की गई तो पता चला कि उसकी आहार नली ही नहीं है. गंभीर स्थिति को देखते हुए बच्चे को भोपाल एम्स रेफर किया गया. एम्स के शिशु रोग विभाग में भर्ती कराने के बाद दूरबीन पद्धति (थोरेकोस्कोपी) से सर्जरी कर आहार नली (ईसोफेगस) बनाई गई. एम्स के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. प्रमोद शर्मा ने बताया कि तीन सप्ताह बाद शिशु की स्थिति बेहतर है. डॉ. शर्मा ने बताया कि एम्स भोपाल में बच्चों की किसी भी तरह की जटिल सर्जरी की सुविधा है. इनमें लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया, कैंसर सर्जरी और जन्मजात समस्याओं की सर्जरी की जा सकती है.

मप्र-छग का पहला अपनी तरह का ऑपरेशन
डॉ. प्रमोद शर्मा के मुताबिक इस बीमारी को ट्रेकिओ-एसोफेजियल फिस्टुला कहा जाता है. बच्चे की जांच करने पर पता चला था कि आहार और सांस नली जुड़ी हुई है. दो दिन के बच्चे की ओपन चेस्ट सर्जरी प्रक्रिया में जोखिम था क्योंकि बच्चे के सीने में जगह बहुत कम होती है. इसलिए हमारी टीम ने दूरबीन की सहायता सर्जरी करने का फैसला किया, हालांकि यह तरीका भी कम मुश्किल नहीं था. आम तौर पर दूरबीन से ऑपरेशन करने के लिए 10 एमएम की दूरबीन का उपयोग किया जाता है लेकिन इस केस में सिर्फ दो दिन का बच्चा होने के कारण तीन एमएम की दूरबीन का इस्तेमाल किया गया.  एम्स के डॉक्टर्स ने बताया कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़, दो राज्यों में यह पहला मौका था जब इतने छोटे बच्चे की ऐसी सर्जरी की जा रही थी. सर्जरी के बाद बच्चे को विशेष निगरानी में रखा गया. तीन सप्ताह बाद वह स्वस्थ है. एक साल बाद उसकी सर्जरी फिर की जाएगी.

ये डॉक्टर रहे सर्जरी टीम में शामिल
डॉ. प्रमोद शर्मा, डॉ.रोशर चंचलानी, डॉ. सुरेश केटी, एनेस्थीसिया टीम में प्रो. वैशाली, डॉ. हरीश और डॉ. पूजा शामिल थे.

Tags: AIIMS, Bhopal

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