मध्यप्रदेश अजब-गजब है… भ्रष्टाचार खत्म करने की शपथ ली, अगले ही दिन 85 लाख रुपए की गड़बड़ी में फंसी भोपाल महापौर
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हाइलाइट्स
नर्मदापुरम संभागायुक्त माल सिंह ने मालती को 85 लाख रुपए के भ्रष्टाचार के मामले का नोटिस दिया.
नोटिस साल 2005 में एमपी नगर जोन-2 में सड़कों के निर्माण से जुड़ा है.
39 भाजपा पार्षदों ने बहुमत का प्रयोग कर टेंडर को रद्द किया और फिर तय रेट से 8.38 प्रतिशत अधिक राशि देने की मंजूरी दी.
पार्षदों के इस फैसले की वजह से नगर निगम को 85 लाख रुपए अधिक भुगतान करना पड़ा.
भोपाल. मैं मालती राय शपथ लेती हूं कि भोपाल नगर निगम से भ्रष्टाचार खत्म करूंगी… इस शपथ के साथ ही राय महापौर बन गई लेकिन इसकी खुशी सिर्फ एक दिन टिक सकी. अगले ही दिन उन्हें भ्रष्टाचार के 17 साल पुराने मामले में नोटिस मिल गया.
मालती राय ने पूरा चुनाव भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लड़ा. भाजपा से टिकट मिलने के बाद सबसे पहले उन्होंने भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा किया और आखिर तक इसी पर अपना चुनावी कैंपेन जारी रखा. जीतने के बाद भी उन्होंने से सबसे पहले इसी की शपथ ली. शपथ के अगले ही दिन उन्हें 7 अगस्त को नर्मदापुरम संभागायुक्त माल सिंह द्वारा एमपी नगर में कथित 85 लाख रुपए के भ्रष्टाचार के मामले का नोटिस मिल गया. यह नोटिस संभागायुक्त ने 26 जुलाई को जारी किया था. यह नोटिस तत्कालीन परिषद में शामिल रहे सभी 39 पार्षदों को भेजा गया है.
कांग्रेस हमलावर, भाजपा बैकफुट पर
भ्रष्टाचार का मामला सामने आने पर कांग्रेस हमलावर हो गई है. महापौर चुनाव में मालती से हारीं कांग्रेस की विभा पटेल ने कहा कि मालती ने झूठा वादा कर चुनाव जीता है. अब उन्हें नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए. वहीं, इस मामले में पूर्व सांसद आलोक संजर, मौजूदा विधायक विष्णु खत्री, वर्तमान पार्षद पप्पू विलास के साथ भाजपा नेता व तत्कालीन पार्षद अनिल अग्रवाल लिली, केवल मिश्रा, विष्णु राठौर और दिनेश यादव आदि के फंसने पर कांग्रेस ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जीरो टालरेंस की हकीकत उजागर हो गई है.
केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार, फिर भी जारी हुआ नोटिस
केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बाद भी 17 साल पुराने मामले में अचानक नोटिस जारी होने से सभी हतप्रद हैं. खास बात यह है कि मालती को मिले नोटिस पर 26 जुलाई की तारीख दर्ज है, लेकिन उन्हें यह नोटिस उनके शपथ ग्रहण के अगले दिन यानी 7 अगस्त को प्राप्त हुआ है. महापौर मालती राय ने खुद को बेगुनाह बताया है लेकिन उन्हें अब नोटिस की वजह से सुनवाई में जाना पड़ेगा.
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यह है मामला
साल 2005 में एमपी नगर जोन-2 में 5 करोड़ 45 लाख 70 हजार रुपए की लागत से सीसी रोड का निर्माण होना था. एक कम्पनी ने तय रेट से 7.2 फीसदी कम राशि पर काम करने का ऑफर दिया. 2 मार्च 2005 को नगर निगम परिषद की बैठक में 39 भाजपा पार्षदों ने इसका विरोध किया. चूंकि भाजपा पार्षदों का बहुमत था, इसलिए टेंडर रद्द कर दिया गया. 10 मई 2005 को भाजपा पार्षदों ने उसी कंपनी ने तय रेट से 8.38 प्रतिशत अधिक राशि देने की मंजूरी दे दी. इस वजह से नगर निगम को 85 लाख रुपए अधिक भुगतान करना पड़ा. कांग्रेस विधायक आरिफ अकील की शिकायत पर लोकायुक्त ने जांच की और पार्षदों को दोषी पाया गया. फिर दोषी पार्षदों को बर्खास्त करने के लिए रिपोर्ट संभागायुक्त को भेज दी थी. तब से यह मामला लटक रहा है. इस बीच शासन ने क्लीन चिट भी दे दी. लेकिन दोबारा शिकायत होने पर जांच तो खोली गई पर उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
सियासी साजिश की आशंका
तत्कालीन लोकायुक्त रिपुसूदन दयाल ने भाजपा के पार्षदों को अयोग्य घोषित करने और 85 लाख रुपए की वसूली करने की सिफारिश के साथ यह मामला संभागायुक्त को भेजा था. तब से कई संभागायुक्त बदल गए, उस परिषद का कार्यकाल भी समाप्त हो गया, लेकिन मामला नहीं सुलझा. पिछले 8 सालों से तो किसी भी संभागायुक्त ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया. अब अचानक मामला खुलने से सियासी साजिश की भी आशंका गहरा गई है. दरअसल, महापौर को चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का करीबी माना जाता है. साफ है भोपाल के दूसरे बड़े नेताओं के लिए यह हजम होने वाली बात नहीं है. लिहाजा, यह कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा नेताओं ने ही अपने संपंर्कों का इस्तेमाल कर पुराना मामला खुलवा दिया है.
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Tags: Bhopal Municipal Corporation, Bhopal News Updates, BJP MP, BJP MP politics, Chief Minister Shivraj Singh Chauhan, Madhya Pradesh News Updates
FIRST PUBLISHED : August 10, 2022, 12:56 IST
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