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मन का डर भगाने नाटक का सहारा, ग्रामीण इलाकों में हो रहा थियेटर वर्कशॉप, बच्चियां भी ले रहीं हिस्सा

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Ranjan Dave

जोधपुर.  यूं तो गांव और शहरों में अनेक व्यक्तित्व विकास कार्यशालाओं का आयोजन होता रहता है, लेकिन जोधपुर के फलोदी में आयोजित नाट्य कार्यशाला में प्रतिभागी को अपने मन का डर भगाने के लिए मानसिक रूप से मजबूत किया जा रहा है, ताकि वह मंच पर अपनी बात कह सकें. राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण साझा अभियान व यूनिसेफ, राजस्थान की ओर से आयोजित नाटक और शिक्षा के आयाम विषयक दस दिवसीय कार्यशाला में ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े तकरीबन 30 बालक बालिकाएं हिस्सा ले रहे हैं.

जोधपुर के फलोदी में दिन का सूर्यादय इसी सोच के साथ उदय होता है कि आज कौन अपनी कला की बेहतर अभिव्यक्ति देगा.  जोधपुर से तकरीबन 250 किलोमीटर दूर स्थित फलौदी के आस पास से आये ग्रामीण बालिकाओं के लिए विशेष रूप से आयोजित हो रहे नाटक और शिक्षा के आयाम विषयक दस दिवसीय कार्यशाला में अलग-अलग आयु वर्ग के बालक बालिकाएं सम्मिलित हुए हैं जो अपने जीवन से जुड़े विभिन्न विषयों को नाटक के माध्यम से सजीव करने में जुटे हैं.

मन का डर भगाने नाटक का सहारा

उद्देश्य यह है कि ग्रामीण इलाकों की ये प्रतिभागियों को अपने मन का डर भगाये, मानसिक रूप से मजबूत बने  ताकि वह मंच पर अपनी बात कह सकें. कार्यशाला में नाटक का सब्जेक्ट भी इन ग्रामीण परिवेश की महिलाओं के जीवन के इर्द-गिर्द दिखाई देने वाला ही है जो कई बार इनक भावुक कर जाता है . कार्यशाला में 15 से 30 अलग-अगल आयु वर्ग के 30 विद्यार्थी प्रशिक्षण ले रहे है. वर्कशॉप डायरेक्टर जयपुर से आई मूमल तंवर की मानें तो अलग-अलग स्थानों लकार्यशाला में अलग-अलग आयु वर्ग के बालक-बालिकाएं  इनमें से अधिकांश ऐसे थे, जिनके मुंह से आवाज तक नहीं निकल पाती थी. कार्यशाला में प्रतिभागियों को मंच पर आकर अपना रोल प्ले करना और फिर एक्सपर्ट व उपस्थित अन्य प्रतिभागियों के सुझावों पर अमल कर अगली बार उम्दा अभिनय प्रस्तुत करना उनके मानसिक विकास में सहायक है और साथ ही साथ महिला सशक्तिकरण के लिए उपयोगी भी. आज वे न सिर्फ मंच पर अपने विचार अभिव्यक्त करते है बल्कि अपनी मंचीय अभिव्यक्ति से सामाजिक दायरे से बाहर निकलने का सन्देश भी दे रहे है.

फलोदी में दूसरा दशक के प्रभारी और स्थानीय प्रतिनिधि मुरारीलाल थानवी के अनुसार कार्यशाला में नाटक का सब्जेक्ट, स्टोरी, करेक्टर व उनका सलेक्शन, डायरेक्शन, म्यूजिक, बैक ग्राउंड सहित सभी कार्य एक टीम वर्क के रूप में किए जा रहे है. आज वे न सिर्फ मंच पर अपने विचार अभिव्यक्त करते है बल्कि अपनी मंचीय अभिव्यक्ति से सामाजिक दायरे से बाहर निकल जन चेतना व महिला सशक्तिकरण का सन्देश भी दे रहे है.

Tags: Jodhpur News, Rajasthan news

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