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सीधी. प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती. इसका जीता-जागता उदाहरण पेश किया सीधी जिले के 6 साल के शासकीय स्कूल के छात्र आराध्य तिवारी ने. कक्षा-2 के छात्र आराध्य दोनों पैरों से दिव्यांग हैं. इसके बावजूद उनका हौंसला जबरदस्त मजबूत है. यह संस्कृत के कौटिल्य हैं. इन्हें स्वस्ति वाचन सहित 400 श्लोक कंठस्थ हैं. इतना ही नहीं आराध्य अपने स्कूल की बड़ी कक्षा के छात्रों को भी संस्कृत पढ़ाते हैं. उनकी प्रतिभा को देखकर शिक्षक भी हैरान हैं. आराध्य सीधी जिले के सिहावल जनपद क्षेत्र के फुलवारी गांव से तालुकात रखते हैं.
परिजन बताते हैं कि आराध्य तिवारी जन्म से ही दोनों पैरों से दिव्यांग हैं. उन्होंने छोटी उम्र में अपनी जो बड़ी पहचान बनाई है, वह तारीफ के लायक है. वह जब संस्कृत में श्लोकों का वाचन शुरू करते हैं तो ऐसा लगता है कि काशी के कोई प्रकांड विद्वान मंत्रोच्चारण कर रहे हैं. परिजनों ने बताया कि यहां उनका ननिहाल है और वे यहीं रहते हैं. जबकि, उनका मूल घर कंदुई वाराणसी है. उनके पिता भास्कर तिवारी गुजरात में प्राइवेट नौकरी करते हैं और मां आराधना देवी गृहिणी हैं. वह अपने माता-पिता की अकेली संतान हैं, जो अपने ननिहाल में ही रहते हैं.
बिना परेशानी सुना दिए श्लोक
जब मीडिया ने आराध्य तिवारी से स्वस्ति वाचन का पाठ करने के लिए कहा तो उन्होंने बिना किसी झिझक या परेशानी के स्पष्ट शब्दों श्लोक सुना दिए. उनके मामा और ग्राम पंचायत फुलवारी के रोजगार सहायक वेद प्रकाश शुक्ला ने बताया कि आराध्य अपने नाना के साथ रोज पूजा पाठ करते हैं और उन्हीं के मार्गदर्शन में ही उन्होंने यह सबकुछ सीखा है. आराध्य को शुरू से ही सनातन धर्म और संस्कृत की ओर विशेष रूचि रही है. इनके नाना मुद्रिका प्रसाद शुक्ल हें हर तरह का कुछ सीख है. होंने , के, लेकिन ननिहाल में रहकर शिक्षा ले रहे हैं. ख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पीए सवार थे. इसे बशासकीय हाई स्कूल फुलवारी के प्राचार्य हैं. उन्होंने कहा कि आराध्य की संस्कृत और हिंदी में विशेष रुचि है. अगर उन्हें परिवेश अच्छा मिला तो छात्र और आगे निकल सकता है.
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Tags: Mp news, Sidhi News
FIRST PUBLISHED : September 01, 2022, 15:57 IST
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