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Rajasthan: वेस्ट से बनाया बेस्ट बगीचा, बाड़मेर के आनंद की यह कहानी वाकई ‘आनंद’ देने वाली है

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हाइलाइट्स

पेशे से व्यापारी हैं बाड़मेर के आनंद डागा
अलग अलग किस्म के 800 पौधों का है संग्रह

मनमोहन सेजू.

बाड़मेर. भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बसे बाड़मेर जिले में बचपन के शौक को पूरा करने के लिए एक शख्स ने अपने घर की पूरी छत को ही बगीचा (Garden) बना डाला. बाड़मेर शहर के रॉय कॉलोनी निवासी व्यापारी आनंद डागा (Anand Daga) ने अपने घर की मुंडेर पर 800 पौधों का बगीचा बनाकर अनूठा काम किया है. डागा को बचपन से ही पेड़-पौधे लगाने और उनके साथ उठने-बैठने का शौक था. आनंद डागा के पिता के सरकारी नौकरी में होने के कारण बचपन से ही उनका एक जगह रहना नहीं हुआ. पिता के तबादलों के चलते कई जगह घूमना हुआ. लेकिन अब जब पिता रिटायरमेंट हो गए तो आनंद डागा ने अपने घर की छत पर खूबसूरत बगीचा बना दिया. हैरत की बात यह है कि छत पर पौधे लगाने के लिये आनंद डागा ने वेस्ट का उपयोग है. वेस्ट से उन्होंने अपनी छत पर ही बेस्ट रूफटॉप बगीचा बना दिया.

उन्होंने अपने घर पर औषधीय, पादपीय, सब्जी और फल-फूल के पौधे लगाए हैं. इसके लिए उन्होंने टायर, प्लास्टिक और थर्माकोल का उपयोग किया है जो सामान्यत अनुपयोगी होने पर फेंक दिये जाते हैं. लेकिन आनंद डागा ने इनको अपने घर की छत पर सजाकर इनमें नए पौधों को लगाया. आनंद डागा पौधे लगाने के लिए थर्माकोल, दूध की थैली, मटकी, कोल्ड ड्रिंक की बोतल, प्लास्टिक डिब्बे, नमकीन की थैली, नारियल का खोल, पुरानी जींस, जूते और पाइप आदि का उपयोग करते हैं.

पूरा परिवार करता हैं पौधों की देखभाल
पौधों की देखभाल करने के लिए आनंद के साथ उनका परिवार भी सहयोग करता है. आनंद की पत्नी सविता बताती है कि 8 साल से घर की छत पर पौधों को एकत्रित करने का काम किया जा रहा है. वह अपने पति के साथ इस बगीचे में पानी देने और अन्य कार्यो में हाथ बंटाती है. घर के कार्य निपटाने के बाद समय निकाल कर इन पौधों की सार संभाल करती हैं.

अलग अलग किस्मों के 800 पौधों का संग्रह है
आनंद डागा बताते हैं कि गूगल के माध्यम से देखा कि किस तरीके से घर में अनावश्यक वस्तुओं को बाहर फेंकने की बजाय उनका उपयोग किया जा सकता है. वेस्ट पड़ी प्लास्टिक, टायर, जिंस, पाइप और नमकीन थैलियों सहित अन्य अनावश्यक समान को एकत्रित करके उसमें पौधारपण किया गया है. घर की छत, दीवारों, रोशनदान और खिड़कियों पर भी पौधारोपण किया गया है. वर्तनमान में उनके पास अलग अलग किस्मों के 800 पौधों का संग्रह है.

करीब तीन से चार घंटे तक बगीचे की देखभाल करते हैं
आनंद डागा की मानें तो उन्होने औषधीय, फूल, कैक्टस, बेल, वाटर, एयर प्यूरी, बोन्साई के पौधे लगाए हैं. अब इंसुलिन के पौधे लगाने का कार्य जारी है. रोज करीब तीन से चार घंटे तक वे इस बगीचे की देखभाल करते हैं. एक तरफ जहां आज सरकारें कई योजनाओं के जरिए लोगों को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करने की अपील कर रही है. वहीं दूसरी तरफ सीमावर्ती बाड़मेर जिले में आंनद जैसे लोग बचपन का शौक पूरा करने के लिए इस धरा को हरा भरा करने में जुटे हुए हैं.

Tags: Barmer news, Environment news, Rajasthan latest news, Rajasthan news

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