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Rajasthan: 10 साल की बच्ची को हुई अनोखी बीमारी, खुद के बाल नोचकर खाए, ऑपरेशन के बाद डॉक्टर्स भी रह गए दंग

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रंजन दवे, जोधपुर. बाल खाने की आदत अक्सर बच्चों में होती है लेकिन यह समस्या भी बड़ी बीमारी का कारण बनती है. जोधपुर में एक 10 साल की बालिका के सर्जरी के माध्यम सेऑपरेशन कर बाल के गुच्छे को शरीर से बाहर निकाला गया. इस बाल के गुच्छे की लंबाई लगभग 25 इंच एवं आमाशय वाले हिस्से में यह आमाशय का आकार लेते हुए लगभग 12 गुणा 5 इंच साइज का था. जोधपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज से संबंध गांधी अस्पताल में चिकित्सकों की टीम ने सर्जरी कर बालों का गुच्छा बाहर निकाला है. अब बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है.

अब पूरी तरह स्वस्थ्य है बच्ची
जानकारी अनुसार 10 वर्षीय बालिका के परिजन बार-बार उल्टी, भूख नहीं लगने और पेट के ऊपरी हिस्से में गांठ जैसी फीलिंग की शिकायत के साथ मथुरादास माथुर अस्पताल में पहुंचे थे. जहां एंडोस्कोपी जांच द्वारा पता चला कि बालिका ट्राइकोबेज़ोर नामक बीमारी से ग्रसित है. डॉ सुनील दाधीच ने एंडोस्कोपी द्वारा इस बाल के गुच्छे को निकालने की कोशिश की पर बड़ा होने के कारण यह निकल नहीं पाया. इसके बाद उन्होंने सर्जरी की सलाह दी. इस पर मरीज के रिश्तेदार सर्जरी करवाने के लिए महात्मा गांधी अस्पताल में डॉक्टर दिनेश दत्त शर्मा की यूनिट में भर्ती हुए. मरीज के परिजनों से बीमारी के बारे में हिस्ट्री लेने पर पता लगा कि मरीज को अपने स्वयं के बाल नोच नोच कर खाने की आदत है. मरीज की इस आदत को छुड़ाने के लिए परिजनों ने काफी जतन किए पर बच्चे की यह आदत छुड़ा नहीं पाए.

आहारनाल में जमा होने लगते हैं बाल
डॉ दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि मरीज की इस बीमारी को ट्राईकोफेजिया कहते हैं. बाल खाने की आदत की वजह से यह बाल शरीर की आहार नाल में इकट्ठे होना शुरू हो जाते हैं. अमाशय में इकट्ठा होने से जो बालों का गुच्छा बनता है उसको ट्राइकोबेजोर ( Hair Ball) कहा जाता है. क्योंकि बाल को पचाने की क्षमता मनुष्य के आहार नाल में नहीं होती है. इस वजह से यह एक जगह इकठ्ठा होकर बालों का गुच्छा बना देते हैं. यह बीमारी साधारणतया मानसिक रूप से कमजोर, विक्षिप्त एवं असामान्य व्यवहार करने वाली महिलाएं जो 15 से 30 साल की उम्र की होती है उनमें होती है. लेकिन इस मरीज में मानसिक कमजोरी या विक्षिप्तता जैसे कोई लक्षण नहीं थे फिर भी बाल खाने की आदत की वजह से यह बीमारी हुई है.

खाना रुकने के बाद होती है परेशानी
इस बाल के गुच्छे ने अमाशय एवं छोटी आंत के शुरुआती भाग को पूर्ण रूप से ब्लॉक कर दिया था. इस कारण मरीज जो भी खाता है वह आंतों में रुकावट के कारण आगे नहीं जा पा रहा था और उससे उल्टियां हो रही थी. सभी जांचे करवा कर इमरजेंसी ऑपरेशन प्लान किया गया एवं ऑपरेशन कर इस बाल के गुच्छे को शरीर से बाहर निकाला गया. इस बाल के गुच्छे की लंबाई लगभग 25 इंच एवं आमाशय वाले हिस्से में यह आमाशय का आकार लेते हुए लगभग 12 इंच गुना 5 इंच साइज का था.
इस टीम ने की सर्जरी
ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ. दिनेश दत्त शर्मा के साथ डॉ.यदुनाथ एवं डॉ. सुनील मीणा थे. एनेस्थीसिया टीम में डॉ. फतेह सिंह भाटी, डॉ. भरत चौधरी एवं डॉ. रश्मि स्याल थे. नर्सिंग स्टाफ में अरविंद अपूर्वा रेखा सोलंकी, ज्योती का भी योगदान रहा. मरीज का यह ऑपरेशन महात्मा गांधी अस्पताल में किया गया है.

Tags: Jodhpur News, Rajasthan news

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